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भारी डिस्काउंट पर रूस से गेहूं खरीदने की सोच रही है सरकार
नई दिल्ली। चुनावी साल में महंगाई से पार पाने की कोशिश में केंद्र सरकार रूस से गेहूं खरीदने (Wheat Import From Russia) की सोच रही है। रूस भी गेहूं पर 25 से 40 डॉलर प्रति टन का भारी डिस्काउंट (Heavy Discount) ऑफर कर रहा है। फिलहाल रूस से सूरजमुखी का तेल खरीद रहा है, साथ ही रियायती दरों पर कच्चा तेल (Crude Oil) भी खरीदा जा रहा है।
महंगाई का खतरा मोल नहीं लेना चाहती सरकार
इस कदम का कारण देश में गेहूं के स्टॉक (Wheat Stock) में कमी आने की आशंका जुड़ा है। अगर गेहूं का स्टॉक कम हुआ तो कीमतें बढ़ने की आशंका है। चुनावी साल में सरकार ऐसा कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहिती। सरकार जल्दी से जल्दी रूस से गेहूं की खरीद कर लेना चाहती है ताकि चुनावी साल में महंगाई से निजात पाई जा सके। जुलाई में महंगाई की दर 15 महीने के उच्चतम स्तर पर थी, जो सरकार के लिए चिंता का विषय बनी है। गेहूं के आयात से सरकार को इसे नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
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9 मिलियन तक हो सकता है आयात
बीते कई सालों से भारत ने सरकारी तौर पर गेहूं का आयात नहीं किया है। आखिरी बार 2017 में भारत ने गेहूं का आयात किया था। यह खरीद भी निजी तौर पर ही की गई थी। कंपनियों के जरिए भारत ने 5.3 मीट्रिक टन गेहूं का आयात किया था। एक तरफ सरकार गरीब तबके के लिए मुफ्त राशन की स्कीम की अवधि को बढ़ा चुकी है तो वहीं मध्यम वर्ग महंगाई की मार झेल रहा है। देश में गेहूं की कमी दूर करने के लिए 3 से 4 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जरूरत है। लेकिन भारत सरकार इससे कहीं आगे बढ़ते हुए 8 से 9 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं खरीद सकती है। रूस से मिल रहे भारी डिस्काउंट के कारण भारत को स्थानीय दाम से भी कम रेट पर गेहूं मिल सकेगा।