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डॉलर के मुकाबले रुपयाऑल टाइम लो 82.32 पर पहुंचा, सोना-पेट्रोलियम के दाम बढ़ेंगे
Last Updated on October 7, 2022 by saroj patrwal
अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया 43 पैसे से गिर कर 82.32 के ऑल टाइम लो (All time low of 82.32 by dropping from 43 paise) पर आ गया है। यानी कि अब एक अमेरिकी डॉलर के लिए 82 रुपए खर्चने होंगे। इससे कई प्रकार के प्रभाव पड़ेंगे। इससे भारत को चीजों को इंपोर्ट करना महंगा हो जाएगा। वहीं अमेरिका में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए सब कुछ महंगा हो जाएगा। वहां रहन-सहन से लेकर पढ़ाई तक का खर्च बढ़ जाएगा। वीरवार को रुपया 81.89 पर बंद हुआ था। यह 27 पैसे कमजोर होकर 82.16 पर खुला। रुपए की 52 वीक रेंज 73.77.82.32 रही है। भारतीय रुपए (Indian Rupee) में इस वर्ष करीब 10.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अभी हाल ही में तीसरी बार ब्याज की दरें बढ़ाई हैं।
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फेडरल रिजर्व ने ब्याज की दरों को 0.75% बढ़ाकर 3.3.25% (0.75% up to 3.3.25%) कर दिया हैं। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं। अमेरिका में महंगाई 40 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। अब भारत की अर्थव्यस्था पर भी इसके व्यापक प्रभाव पड़ने वाले हैं। यदि इंपोर्ट महंगा होगा तो नेचुरली ही महंगाई ग्राफ (inflation graph) ऊपर बढ़ेगा, जिससे कुछ चीजों के महंगा होने के आसार हैं। भारतीय रुपए की गिरावट में चार वजहें मानी जा रही हैं। जैसे कि विकसित देशों के इन्वेस्टर भारतीय शेयर मार्केट से अपना पैसा निकाल रहे हैं। इसी के साथ रूस-युक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल टेंशन बनी हुई है। वहीं जोखिम करने के लिए सोने की तरह डॉलर जुटाने का भी चलन बढ़ा है। वहीं बिजनेसमैन के लिए एक्सपोर्ट से ज्यादा पैसा आएगा। इसके अतिरिक्त विदेशी पर्यटकों को भारत में घूमना काफी सस्ता होने वाला है। वहीं भारतीय मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री (Indian Medical Tourism Industry) को अब फायदा होने वाला है। इसके साथ ही अब विदेश से डॉलर भेजने पर अब ज्यादा पैसे मिलेंगे। इसके विपरीत पेट्रोल और सोने के दाम बढ़ जाएंगे। सामानों की कीमत बढ़ने मंहगाई बढ़ेगी। इसके विपरीत विदेशों में पढ़ाई करना और वहां घूमना महंगा हो जाएगा। वहीं देशी में विदेशी निवेश भी कम होगा।