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शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है हिमाचल के जंगलों में मिलने वाला ये फल
जिला शिमला के मशोबरा ब्लॉक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों काफल पक कर तैयार हो गया है । विशेषकर जनेडघाट, कमहाली , बलदेआं, कोटी, शलईल, नोंवा, सकोड़ी बीणू इत्यादि गांव के लोग जंगलों में काफल को चुनने में व्यस्त हैं। काफल के पेड़ काफी ऊंचे होते है । परंतु लोग अपनी जान को जोखिम मे डालकर काफल का एक एक दाना बड़े चाव से चुनकर बैग में भर कर घर लाते हैं। आर्थिक तौर पर भी यह फल वर्तमान लोगों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है और मार्केट में काफल के फल को बड़े चाव के साथ खरीदते हैं ।
बता दें कि काफल एक जंगली फल है जोकि सभी औषधीय गुणों से भरपूर है । यह फल हिमाचल प्रदेश सहित हिमालय के अन्य क्षेत्रों में जंगली तौर पर पाए जाने वाला एक सदाबहार पेड़ है जोकि कई औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है । काफल के पेड़ 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई में पाए जाते है । यह फल रस से भरपूर होता है तथा इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है ।
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ0 विवेक कंवर के अनुसार काफल में विटामिन्स, आयरन व एंटी ऑक्सीडेंटस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं । इसके अतिरिक्त काफल में कई प्रकार के प्राकृतिक तत्व जैसे माईरिकेटिन और ग्लाकोसाइडस भी विद्यमान हैं। काफल की पत्तियों में लावेन 4, हाईड्रोक्सी 3 पाया जाता हैं। काफल के पेड़ की छाल, फल तथा पत्तियां भी औषधीय गुणों से भरपूर मानी जाती है ।नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक , क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिन्द्र नगर डॉ.,अरूण चंदन का कहना है कि काफल जंगल में पाए जाने वाला एक विशेष मौसमी फल है । औषधीय गुणों से भरपूर यह फल शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है । इस फल के सेवन से जहां कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।
काफल खाने के फायदे जानें
- इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक जूस से भरा होता है। ऐसे में ये पेट से जुड़ी कई बीमारियों को सही करने का काम करता है।
- इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं। जैसे अतिसार, अल्सर, गैस,कब्ज, एसिडीटी आदि।
- मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है, क्योंकि ये कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी डिप्रेशंट तत्वों से भरा होता है।
- इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
- इसके पेड़ की छाल तथा अन्य औषधीय पौधों के मिश्रण से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खांसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
- काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है। इस फल का उपयोग औषधी तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है।
- इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूंघने से भी आराम मिलता है।
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