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देश का पहला ब्यूटी ब्रांड है LAKME, ऐसे हुई थी प्रोडक्ट की शुरुआत
कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनके बारे में आमतौर पर हर कोई जानता है। ऐसे ही अपनी अलग पहचान बनाई है लैक्मे ने। खूबसूरती की दुनिया में लैक्मे (Lakme) किसी पहचान का मोहताज नहीं रह गया है। लैक्मे ने भारत में ही नहीं दुनियाभर के तमाम महंगे ब्यूटी प्रोडेक्ट को मात दी है। आपको बता दें कि लैक्मे भारत की पहचान है। आज हम आपको लैक्मे की शुरुआत के पीछे का किस्सा सुनाएंगे।
गौरतलब है कि लोग लैक्मे को उसकी क्वालिटी के लिए जानते हैं। लैक्मे के प्रोडक्ट की सबसे खास बात ये है कि ये प्रोडेक्ट पॉकेट फ्रेंडली हैं। भारत में लैक्मे के प्रोडक्ट को सबसे ज्यादा बिकाऊ प्रोडक्ट में गिना जाता है। इस प्रोडक्ट का किस्सा काफी रोचक है। ये किस्सा पंडित जवाहर लाल नेहरू, मां लक्ष्मी और टाटा से जुड़ा हुआ है।
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विदेशों से मंगवाती थीं प्रोडक्ट
बता दें कि 1952 में लैक्मे का लॉन्च किया गया था, जिसका श्रेय जेआरडी टाटा को जाता है। दरअसल, साल 1950 तक मध्यम वर्ग की महिलाएं खुद को संवारने के लिए होम ब्यूटी प्रोडेक्ट को बना कर इस्तेमाल करती थी। जबकि, जो महिलाएं संपन्न थीं वे अपने लिए विदेशों से प्रोडक्ट मंगवाया करती थीं।
नहीं था कोई ब्यूटी ब्रांड
उस समय पीएम जवाहरलाल नेहरू देश में नए उद्योगों की स्थापना पर काम कर रहे थे। तभी उन्होंने भारतीय ब्यूटी ब्रांड शुरू करने का विचार आया। उस समय भारत का अपना कोई ब्यूटी ब्रांड नहीं था। उन्हें उम्मीद थी कि अगर बजट फ्रेंडली हुआ तो लोग इसे हाथों हाथ खरीदेंगे। इसके बाद उन्होंने अपना आइडिया जेआरडी के साथ साझा किया।
टाटा ने की पहल
वहीं, उद्योगों की चेन तैयार करने में माहिर टाटा को उनका ये आइडिया पसंद आ गया। इसके बाद शुरुआत हुई लैक्मे की। उस समय ब्रांड के नाम को लेकर काफी मंथन हुआ। लैक्मे का पहले नाम लक्ष्मी रखा गया था। उस समय लक्ष्मी का विज्ञापन रेखा, हेमा मालिनी, जया प्रदा समेत बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों को देखा गया।
विदेशी प्रोडक्ट हुए बंद
बताया जाता है कि लक्ष्मी के लॉन्च होने के बाद विदेशी ब्यूटी प्रोडक्ट की खेप भारत आना लगभग बंद हो गई। आम लोगों का भी लक्ष्मी के प्रति विश्वास बढ़ गया। फिल्मों में भी मेकअप के लिए लक्ष्मी के ब्यूटी प्रोडक्ट इस्तेमाल किए जाने लगे। लक्ष्मी की खासियत ये थे कि उनकी कीमत ज्यादा नहीं रखी गई थी। इसी के चलते आम महिलाएं भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर पा रही थीं।
ऐसे बना लैक्मे
टाटा के इस ब्रांड को कई नामी कंपनियों ने खरीदने के लिए बोली लगाई, लेकिन टाटा ने अपना प्रोडक्ट हिंदुस्तान लीवर को दे दिया। टाटा को यकीन था कि यही कंपनी लक्ष्मी को मशहूर बना सकती है। 1996 में लक्ष्मी हिंदुस्तान लीवर का प्रोडेक्ट हो गया। इसी के बाद यहां से ब्रांड का नाम भी बदल दिया गया। लक्ष्मी का नाम फ्रेंच में रखा गया, जो कि लक्ष्मी से लैक्मे हो गया।
युवाओं के लिए शुरुआत
इसके बाद धीरे-धीरे लैक्मे ने खुद को ब्रांड के तौर पर स्थापित किया। युवाओं को ब्यूटी के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सके इसलिए लैक्मे ने फैशन कोर्स की शुरुआत की। इसके बाद पूरे देश में लैक्मे पार्लर की शुरुआत की गई। यहां से युवाओं को अलग-अलग सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिला। साथ ही साथ लड़कियों के लिए स्कॉलरशिप प्रोग्राम और स्टार्टअप शुरू करने में भी मदद की जाने लगी।
सबसे ज्यादा प्रभावशाली कंपनी
आज लैक्मे 1900 करोड़ का सफलतापूर्वक व्यवसाय करने वाली भारत की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा प्रभावशाली कंपनी बन चुकी है। आज लैक्मे भारत समेत पूरी दुनिया में मशहूर है। भारत में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के करीब 110 पार्लर हैं और करीब 100 से ज्यादा पार्लर विदेशों में चल रहे हैं।