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फेफड़ों पर ज्यादा असर करता है डेल्टा प्लस वेरिएंट, जानिए पहले के मुकाबले कितना खतरनाक
Last Updated on June 29, 2021 by
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद अब दुनिया भर में इसके डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) ने खौफ पैदा कर दिया है। लोगों का ये मानना है कि ये वेरिएंट पहले के मुकाबले काफी खतरनाक है और जानलेवा भी। हालांकि ये सच है कि यह वेरिएंट फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर पर बाकी वेरिएंट की तुलना में ज्यादा तेजी से चिपकता है, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि इससे बीमारी के लक्षण गंभीर होंगे या ये ज्यादा संक्रामक होगा। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन इन इंडिया (NTAGI) के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने खुद इस बात की जानकारी दी है। कोरोना वायरस के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान 11 जून को हुई थी और अब इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में लिस्टेड कर दिया गया है। भारत के 12 राज्य अब डेल्टा वेरिएंट की चपेट में हैं और यहां कुल मिलाकर 51 मामले सामने आ चुके हैं। डेल्टा प्लस वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में देखने को मिले हैं।
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NTAGI के चेयरमैन ने इसके बारे में बताया कि डेल्टा प्लस वेरिएंट अन्य स्ट्रेन्स के मुकाबले फेफड़ों की कोशिकाओं (Lung Cells) से जल्दी जुड़ जाता है। ये फेफड़ों की म्यूकस लाइनिंग के साथ जल्दी कनेक्ट हो जाता है। लेकिन इसका ये अर्थ निकालना ठीक नहीं कि ये वेरिएंट ज्यादा संक्रामक और बीमारी को एक घातक रूप देने वाला है।’ डॉ अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में स्पष्ट रूप से तभी कहा जा सकता है जब कुछ और मामलों की पुष्टि हो जाए। हालांकि मौजूदा मामलों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वैक्सीन के सिंगल या डबल डोज ले चुके लोगों में इसका संक्रमण हल्का ही रहता है। उन्होंने कहा कि हमें इसके ट्रांसमिशन पर नजर रखनी होगी ताकि इससे फैल रहे इंफेक्शन का पता चल सके।
डॉ अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामलों की संख्या दर्ज किए गए मामलों से ज्यादा हो सकती है क्योंकि इसकी चपेट में आने वाले कई लोग असिम्प्टोमटिक (Asymptomatic) भी हो सकते हैं। ऐसे मरीजों में कोरोना के लक्षण भले ही न दिख रहे हों, लेकिन वो संक्रमण को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ये महत्वपूर्ण है कि जीनोमिक को लेकर हमारा काम काफी तेज हुआ है और हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। राज्यों को पहले सूचित कर दिया गया है कि ये एक चिंताजनक वेरिएंट है और हमें तैयार रहने की जरूरत है। कई राज्यों ने तो उन जिलों में इसे लेकर योजनाएं बनानी भी शुरू कर दी हैं जहां इस वेरिएंट की पहचान की गई है। डॉ अरोड़ा का कहना है कि अगर हम जल्दी इम्यूनाइज होंगे तो संभव है कि तीसरी लहर से नुकसान भी कम ही होगा। अगर हम आने वाली लहर को शांत रखेंगे तो हमें पहले आ चुकी दो लहरों जितना नुकसान नहीं होगा।