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हिमाचल के चार और छात्र वतन लौटे, अन्य का बुरा हाल, यहां जानें क्या बीत रही उन पर
शिमला। हिमाचल (Himachal) के चार और विद्यार्थियों की मंगलवार को यूक्रेन से वतन वापसी हुई है। मंगलवार सुबह नई दिल्ली (New Delhi) में उतरीं दो फ्लाइट्स में ये विद्यार्थी आए हैं। इनमें से दो विद्यार्थी कांगड़ा (Kangra) और एक-एक चंबा और सोलन जिला से हैं। सोमवार को 16 विद्यार्थी लौटे थे। वहीं, बाकी हिमाचली छात्र-छात्राओं के परिजनों की चिंता बढ़ गई है। जैसे-जैसे यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध तेज हो रहा है, वैसे-वैसे परिजनों का दिल बैठ रहा है। शिमला की छात्रा अनुष्का कुठियाला, अदिति और मंडी जिला के करसोग के छात्र शिवांश सहित कई छात्र-छात्राएं वहां फंसे हुए हैं।
व्हाट्सएप (Whatsapp) के जरिये इन विद्यार्थियों की बीच-बीच में परिजनों से बात होती है। छात्र-छात्राओं के अनुसार वहां न खाने को रोटी है और न ही जेब में पैसा बचा है। पानी-बिस्कुट से गुजारा हो रहा है। मदद के इंतजार में 24 फरवरी से ये अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए थे। इंतजार से थक-हारकर इन्होंने खुद ही हिम्मत जुटाकर बाहर निकलने की योजना बनाई। मंगलवार सुबह ये सभी अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन (Metro station) से निकले और छह किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर के समीप लबीब शहर के लिए ट्रेन पकड़ी।
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छात्रा के पास पैसे खत्म
व्हाट्सएप मैसेज में इन छात्र.छात्राओं ने बताया कि 13 घंटे बाद लबीब पहुंचेंगे। अनुष्का के पिता राजीव कुठियाला और माता गीता कुठियाला ने बताया कि अभी तो संपर्क हो पा रहा है, मगर बच्चों का वतन लौटने का रास्ता इतना आसान नहीं है। लबीब (labib) में सुबह छह बजे ट्रेन पहुंचेगी। उसके बाद बच्चों को यह भी मालूम नहीं कि आगे उन्हें कैसे जहाज मिलेगा। अनुष्का और उसके साथ चल रहे बच्चों के पास पैसे भी नहीं हैं। 24 फरवरी को उन्होंने अंतिम बार एटीएम (ATM) से पैसे निकाले थे। अभिभावकों का कहना है कि अब तक इन बच्चों को भारतीय दूतावास यूक्रेन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है।
तीन बार टिकट बुक, अढ़ाई लाख जमा करवाए पर नहीं मिली फ्लाइट
सोलन (Solan) जिला के कसौली विधानसभा क्षेत्र की गढ़खल पंचायत के चाबल गांव के संदीप सिंह भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। पिता से बातचीत में संदीप ने कहा कि फ्लाइट के लिए तीन बार टिकट बुक करवा चुके हैं। 2.50 लाख रुपए भी जमा करवा दिए हैं, लेकिन अभी तक फ्लाइट (Flight) नहीं मिली। कभी बंकर तो कभी खुले में रातें बिताने को मजबूर हैं। ठंड इतनी है कि शरीर काला पड़ने लगा है। स्थानीय लोग भी अब दुर्व्यवहार पर उतर आए हैं।
संदीप के पिता कुलदीप सिंह ने बताया कि वह घरवालों को यह कहकर ढांढस बंधा रहे हैं कि बेटा कीव (Kiv) में नहीं है। कुलदीप ने बताया कि बेटे से रोज उनकी बात हो रही है। बेटा यूक्रेन के चेनवित्सी में मेडिकल (Medical) की पढ़ाई के लिए गया था। सोमवार रात को ही वह रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचा है। वहां पर उन्हें शेल्टर में ठहराया गया है। कुलदीप सिंह ने बताया कि पुलिस और प्रशासन की ओर से कई फोन आ रहे हैं मगर बेटा घर कब तक आएगा, इसका पता नहीं है। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि बच्चों को लाने के लिए ज्यादा फ्लाइट भेजें।
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आसमान से बरस रहे बम
रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच जारी युद्ध में गोलीबारी में कर्नाटक के जिस छात्र की मौत हुई, वह शिमला (Shimla) के राहुल के साथ ही होस्टल में रहता था। छात्र की मौत से अब इसके दोस्त खौफ में हैं। यह बात छात्र के पिता एवं उपनिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. रमेश चंद ने कही। उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (War) से उनकी परेशानियां बहुत बढ़ गई हैं। अब स्थिति यह बन गई है कि वहां रहने वाले बच्चों को बाहर निकालने तक का रास्ता तक पता नहीं चल रहा। बताया कि उनका बेटा राहुल भी खार्किव में फंसा हुआ है। राहुल भी वहां एमबीबीएस (MBBS) कर रहा हैं। बेटे से व्हाट्सएप पर बात हुई तो उसने बताया कि आसमान से बम बरस रहे हैं। अभी किसी के घर पर रह रहे हैं। बाहर निकलना काफी मुश्किल है।