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इन पहाड़ों पर पैदा होते हैं रोशनी छोड़ने वाले मशरूम, रात को देखने लायक होता है यहां का मंजर
मशरूम की सब्जी काफी लोगों को पसंद होगी। आपने कई तरह के मशरूम (Mushroom) देखे और खाए होंगे। आपने कभी रोशनी देने वाले मशरूम खाए या देखे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि मशरूम भला रोशनी कैसे दे सकते हैं। लेकिन ये सिर्फ बातें नहीं बल्कि हकीकत है। रोशनी देने वाले मशरूम को बायो-ल्यूमिनिसेंट मशरूम (Bio Luminescent Mushrooms) कहते हैं। यह दुर्लभ रोशनी देने वाला मशरूम गोवा के जंगलों में दिखाई देते हैं। रात के अंधेरे में यह हल्के नीले-हरे और बैंगनी रंग में चमकता दिखाई देते हैं।
रोशनी देने वाला यह मशरूम गोवा के म्हाडेई वाइल्डलाइफ सेंचुरी (Mhadei Wildlife Sanctuary) में दिखते हैं। इस सेंचुरी को मोलेम नेशनल पार्क या महावीर वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी कहते हैं। यह सेंचुरी गोवा के पश्चिमी घाट पर है। दिन में यह मशरूम आम मशरूम की तरह दिखता है, लेकिन रात में इसमें से रोशनी निकलती है। वन्य जीव विशेषज्ञ मशरूम की इस प्रजाति को माइसेना जीनस (Mycena Genus) कहते हैं जो रात में हल्की रोशनी छोड़ता है। यह मशरूम रात में रोशनी इसलिए छोड़ता है ताकि इस पर मौजूद बीजाणु कीड़ों के जरिए जंगल में अन्य जगहों पर फैल जाएं और इस मशरूम की तादाद बढ़े। रोशनी छोड़ने वाले ये मशरूम अपनी आबादी को बढ़ाने के लिए कीड़ों द्वारा जंगलों में फैलते हैं। इससे वे पौधों की छाल, तने, जमीन से नमी लेकर पनपते हैं। यह एक खास प्रकार का कवक (Fungi) होता है। अब तक रोशनी छोड़ने वाले मशरूम की 50 प्रजातियों का पता चला है। गोवा में मिलने वाले मशरूम सिर्फ बारिश के सीजन में ही दिखाई पड़ते हैं।
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इन्हें जंगल में पनपने के लिए पर्याप्त नमी की जरूरत होती है साथ ही तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। म्हाडेई वाइल्डलाइफ सेंचुरी में इनकी तादाद बारिश के मौसम में काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इन्हें खोजना बहुत मुश्किल नहीं होता, लेकिन आपको जंगल में रात के समय घूमना होता है। इस मशरूम की जानकारी तब मिली जब गोवा के बिचोलिम तालुका के मेनकुरेम इलाके की संस्कृति नायक नाम की युवती जंगलों में घूमने गई थीं। उन्होंने जंगल में चमकते हुए मशरूम देखे तो वन विभाग को इसकी सूचना दी। इसके बाद वैज्ञानिकों ने जाकर इसकी तस्वीर ली और रिसर्च किया।