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नेपाली संसद ने विवादित Map को दी मंजूरी; India के तीन इलाकों को अपना दिखाया
Last Updated on June 13, 2020 by Deepak
काठमांडू। नेपाल (Nepal) की संसद में शनिवार को विवादित नए नक्शे (Map) को पारित कर दिया जिसमें तीन भारतीय इलाकों को भी शामिल किया गया है। नए नक्शे में भारत (India) के उत्तराखंड राज्य में पड़ने वाले तीनों हिस्सों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल किया गया है। इसके सपोर्ट में 258 वोट पड़े। विरोध में एक भी वोट (Vote) नहीं पड़ा। इस विधेयक को पारित कराने के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत थी। वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया।
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जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरी ने किया था नए नक्शे का विरोध
कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था। अब निचले सदन से पारित होने के बाद विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। नेशनल असेंबली को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन प्रस्ताव लाने के लिए सांसदों को 72 घंटे का वक्त देना होगा। वहीं नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा। बता दें कि इस बिल के खिलाफ नेपाल में जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरी विरोध दर्ज करा चुकी हैं। उन्होंने संशोधन बिल को वापस लेने और पुराने नक्शे को बहाल करने की मांग की थी।
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नेपाली पीएम ने कहा था- अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। उस समय भारत की तरफ से कहा गया था कि यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और के कहने पर किया। जिस पर नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि वो अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे।