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अब जीनोम सिक्वेंसिंग की नहीं पड़ेगी जरूरत, इस नई किट से चलेगा सभी वैरिएंट्स का पता
Last Updated on February 3, 2022 by sintu kumar
दुनिया भर में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट किया जाता है। अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) (ICMR) ने चेन्नई की नई RT-PCR किट को मंजूरी दे दी है। ये नई किट सिर्फ 45 मिनट में कोरोना (Corona) के डेल्टा, ओमिक्रोन समेत सभी वैरिएंट्स का पता लगाएगी।
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इस नई किट का नाम कृविडा नोवस आरटी-पीसीआर किट (KRIVIDA Novus RT-PCR kit) है। इस किट को ImmuGenix Bioscience के सहयोग से बनाया गया है। नई RT-PCR किट SARS-COV-2 के चार जीन और एक ह्यूमन जीन को डिटेक्ट करती है। जबकि, पुरानी सभी RT-PCR किट SARS- COV-2 के तीन जीन का ही पता लगाती थी।
बता दें कि जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की प्रक्रिया में सैंपल लेने से लेकर रिपोर्ट आने तक कम से कम हफ्ता लग जाता है और इस टेस्ट पर करीब 5 हजार का खर्च आता है। वहीं, अब नई किट से ओमिक्रोन समेत अन्य वैरिएंट्स का पता लगाना आसान हो जाएगा। इस किट से वैसे ही टेस्ट किया जा सकता है, जैसे अब तक पुराने किट से किया जाता है। यानी सैंपल के लिए आप नाक या गले से स्वैब लेकर किट की मदद से टेस्ट कर सकते हैं। अब तक बाजार में बिकने वाली सभी RT-PCR किट की तुलना में ये नई किट किफायती होगी।
कृविडा नोवस किट S-Gene टारगेट फेल्योर स्ट्रेटजी के जरिए ओमिक्रोन वैरिएंट का पता लगाता है। किट से ओमिक्रोन (B.1.1.529) के सभी सब-वैरिएंट BA.1, BA.2 और BA.3 का भी पता लगाया जा सकता है।
ये है S-Gene टारगेट फेल्योर स्ट्रैटजी
जानकारी के अनुसार, वायरस में मौजूद S-Gene के जरिए ही ओमिक्रोन की पहचान की जा रही है। कई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ओमिक्रोन में S-Gene नहीं है। अगर किसी व्यक्ति के सैंपल में S-Gene मिसिंग है, तो वो ओमिक्रोन संक्रमित है। वहीं, अगर सैंपल में S-Gene मौजूद है और रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव है। इसका मतलब है कि कोरोना के किसी दूसरे वैरिएंट का संक्रमण है।