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Christmas 2023: आज है क्रिसमस, जानें कैसे हुई इस त्योहार की शुरुआत
आज दुनियाभर में क्रिसमस का त्यौहार (Festival of Christmas ) बड़े हर्षाेल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन ईसाई धर्म (Christianity) के लोग चर्च में एक जुट होकर ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के जन्म दिवस को प्रार्थना गाकर मनाते हैं। क्रिसमस डे को लोगों द्वारा बहुत धूमधाम तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है। क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) को सदाबहार फर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा पेड़ है जो कभी मुरझाता नहीं है और बर्फ में भी हरा-भरा रहता है। क्रिसमस ट्री आमतौर पर डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है, जिस को क्रिसमस के दिन खूब सजाया जाता है।
क्रिसमस साल का आखिरी बड़ा त्योहार (Last big festival) होता है। लेकिन अगर आपको पूछा जाए कि क्रिसमस को क्यों मनाया जाता है? इसका क्या इतिहास है? क्रिसमस डे की शुरुआत कैसे हुई और इसका महत्व क्या है? आज हम इस खबर के माध्यम से आपको बताएंगे कि क्रिसमस की शुरुआत कैसे हुई। आइए जानते हैं……
दुनिया में और खासतौर पर ईसाई धर्म के लोगों में क्रिसमस का त्योहार मनाने की बहुत परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन ईसाई धर्म में पैगंबर ईसा मसीह का जन्म हुआ था। जिन्हें भगवान ने लोगों को पापों से मुक्त कराने के लिए और सही मार्ग दिखाने के लिए धरती पर भेजा था।
क्या है क्रिसमस का इतिहास
क्रिसमस से जुड़े कई दावे किए जाते हैं। लेकिन मान्यता है कि सबसे पहले क्रिसमस का त्योहार रोम देश में मनाया गया था। यहां इस दिन को सूर्य देवता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ईसाई धर्म का प्रभाव 330 ई. तक रोम देश में तेजी से बढ़ने लगा था और ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या तेजी से बढ़ती गई। माना जाता है कि कुछ वर्षों बाद रोम में ईसाई धर्म के अनुयायियों ने ईसाई धर्म के पैगंबर यीशू मसीह को सूर्य देवता का रूप मान लिया और तभी से 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार की शुरआत हो गई और इसे 25 दिसंबर के दिन मनाया जाने लगा। यूं तो बाइबल में ऐसा जिक्र नहीं है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को ही हुआ था। लेकिन, ऐसा कहा जाता है कि चौथी शताब्दी के मध्य में धर्मगुरुओं और बहुत से राज्यों और चर्च के प्रतिनिधियों ने 25 दिसंबर के दिन को ही क्रिसमस के लिए चुना था।