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हिमाचल में CPS के पास नहीं हैं मंत्रियों के अधिकार, उनका काम है सुझाव देना
संजू/शिमला। हिमाचल प्रदेश में नियुक्त 6 सीपीएस (CPS) से मंत्रियों की सुविधाएं (Facilities Like Ministers) वापस लेने के हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश (Interim Order) पर बुधवार को महाधिवक्ता अनूप रतन (Advocate General Anup Rattan) ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि सीपीएस के पास मंत्रियों के अधिकार नहीं हैं। उनका काम सिर्फ मंत्रियों को सुझाव (Advise) देना है। यह बात हाईकोर्ट (Himachal High Court) में पहले ही बताई जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव किसी भी प्रकार से मंत्रियों का कार्य नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट को स्पष्ट किया गया था कि हिमाचल प्रदेश पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी अपॉइंटमेंट और सैलरी अलाउंस प्रिविलेज एमेनिटीज एक्ट 2006 की धारा 4 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि वे सरकार के किसी भी एक्शन को अप्रूव नहीं कर सकते। सीपीएस मंत्रियों को भेजी फाइल का अध्ययन करने के पश्चात अपना सुझाव दर्ज करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि असम (Assam) में सीपीएस को मिनिस्टर का स्टेटस (Ministerial Status) दिया गया है। इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को होगी।
मिलती है विधायकों से ज्यादा सैलरी
इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर सभी सीपीएस को मंत्रियों वाली सुविधाए लेने और मंत्रियों वाले कार्य करने पर रोक लगा दी थी। परंतु वह सीपीएस बने रहेंगे। कोर्ट में सरकार की ओर से बताया गया कि सीपीएस मंत्रियों वाली सुविधाएं भी नहीं ले रहे हैं। हालांकि उन्हें अन्य विधायकों से ज्यादा सैलरी (Salary) कानून के अनुसार ही दी जा रही है।