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महाशिवरात्रि 2022 : जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और सभी जरूरी बातें
Last Updated on March 1, 2022 by admin
हिन्दू धर्म में कई त्योहार हैं और हर त्योहार का अलग महत्व है। इन्हीं त्योहारों में से एक है महाशिवरात्रि। हिन्दू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) का त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन उत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत उपवास करने का विधान है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 1 मार्च 2022 को है।
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महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल में ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा का सम्पूर्ण फल मिलता है। इसलिए सबसे पहले बात करते हैं शुभ मुहूर्त की –
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी।
महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
पूजन के लिए लिए सबसे पहले आपको चाहिए सामग्री –
शिव पूजन में के लिए आपको जरूरत होगी भांग, धतूरा, मदार आदि की। इसके अलावा रोली, मौली, चावल, दूध, चंदन, कपूर, विल्बपत्र, केसर, दूध, दही, शहद, शर्करा, खस, पुष्प, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, शमीपत्र, रत्न-आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिणा और बैठने के लिए आसन आदि सामान आपको रखना होगा।
अब हम बात करते हैं कि शिव पूजन किस तरह करना है –
सबसे पहले तो महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
पूजा वाले स्थान को अच्छी तरह साफ करके सभी देवताओं को स्नान करवाएं। इसके बाद जिस जगह पूजा करते हैं, वहां साफ कर लें।
भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को साफ चौकी पर स्थापित करके पंचामृत से स्नान कराएं।
शिवलिंग को भी स्नान करवाकर बेलपत्र, भांग धतूरा, फल, मिठाई, मीठा पान इत्यादि अर्पित करें।
शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं फिर फलों का भोग लगाएं। पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शिव पूजन करें। दिन भर भगवान शिव का ध्यान करें, उनकी स्तुति करें।
इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में ऊं नम: शिवाय का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव न हो, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है। चारों पहर में किए जाने वाले इन मंत्रों के जप से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत के लाभ की बात करें तो ये व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। खासकर उन महिलाओं के लिए जो अविवाहित हैं। माना जाता है कि जो कन्याएं शिवरात्रि का व्रत करती हैं उन्हें जल्द ही व्रत का फल मिलता है और उनके विवाह के शीघ्र ही संयोग बन जाते हैं। वहीं विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें चिर सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और उनके परिवार में खुशहाली रहती है।