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महेंद्र का वारः अनिल शर्मा इस्तीफा देकर चुनाव लड़े, औकात पता चल जाएगी
Last Updated on April 8, 2021 by Sintu Kumar
शिमला। मंडी में नगर निगम चुनाव (Municipal Corporation Elections) में बीजेपी की जीत के बाद जयराम कैबिनेट में जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह (Mahendra Singh) ने मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा (Anil Sharma) को चुनौती देते हुए कहा कि वे एमएलए पद से त्यागपत्र दें और फिर चुनाव लड़े उन्हें अपनी औकात पता चल जाएगी। जो पिता की बैसाखियों पर एमएलए बना हो उसके बारे में क्या कहा जा सकता है। पिता पं सुखराम के बगैर अनिल शर्मा का अस्तित्व शून्य है। आने वाले चुनाव में उनको असलियत पता चल जाएगी। मीडिया से बातचीत के दौरान महेंद्र सिंह ने कहा कि पंडित सुखराम ने अपनी मेहनत से राजनीति में अलग स्थान बनाया था लेकिन उनके बेटे का कोई योगदान नहीं है वो केवल अपने पिता के नाम से आगे बड़े हैं। सुखराम परिवार के सामने अगर कोई अवसर आता है तो वे केवल अपने लिए उसका फायदा उठाना जानते हैं जबकि बीजेपी (BJP) पूरे समाज के बारे में सोचती है। अब सुखराम (Pt Sukhram) अपने पोते को किसी ना किसी रूप से राजनीति में प्रवेश दिलाना चाहते हैं लेकिन लोग उसकी असलियत जान चुके है और उनके बहकावे में आने वाले नहीं है।
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महेंद्र सिंह ने कहा कि सभी के जीवन में एक समय आता है जो उसे शिखर तक ले जाता है लेकिन उसके बाद समय की नजाकत को देखते हुए उसे समय की कदर करते हुए बार-बार अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए। नगर निगम चुनावों में लोगों ने उनको आईना दिखा दिया है। महेंद्र सिंह ने कहा कि पिछली बार ही अनिल शर्मा को हराने का मन जनता ने बना लिया था लेकिन पता नहीं कहां से वो बीजेपी का टिकट ले आए और पैराशूट से उतर कर जीत भी गए । अनिल शर्मा के पास इतने अहम विभाग रहे उन्होंने मंडी के लिए क्या किया। जो भी यहां पर काम हुए हैं वो सभी सीएम जयराम ठाकुर ने करवाएं हैं। इसलिए मंडी नगर निगम में जीत का श्रेय केवल सीएम (CM Jairam Thakur) जयराम ठाकुर को जाता है। इसके बाद पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता जीत के श्रेय के हकदार हैं जिन्होंने जी जान से काम किया और फिर मंडी की जनता जिन्होंने विकास और सीएम जयराम पर भरोसा जताया। महेंद्र सिंह ने कहा कि धर्मशाला में भी बीजेपी के लोग जीते हैं, जो आजाद उम्मीदवार खड़े थे वो हमारे ही लोग है। इसलिए वहां पर भी कोई परेशानी नहीं है। पालमपुर में टिकटों के आबंटन में कुछ गड़बड़ जरूर हुई है। सोलन में भी बीजेपी और कांग्रेस की जीत का अंतर ज्यादा नहीं है।
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