-
Advertisement
दो देशों के बीच है भारत का ये गांव, सीमा पार करने के लिए नहीं लगता वीजा
भारत में करीब 70 फीसदी आबादी आज भी गांव में जीवन यापन कर रही है। भारत का एक गांव ऐसा है जो देशों के बीच में है। इस गांव में रहने वाले कई लोगों के खेत और घर भी दो देशों के बीच हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस गांव के लोगों को सीमा पार करने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है।
यह भी पढ़ें:यहां अपने गांव का नाम लेने में लोगों को आती है शर्म, जानें क्या है कारण
लोंगवा नामक गांव नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में स्थित है। लोंगवा गांव मोन शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है। इस गांव के लोग खाते एक देश में हैं और सोते दूसरे देश में हैं। लोंगवा गांव घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का आखिरी गांव है। बता दें कि म्यांमार की सीमा से सटे भारत के करीब 27 कोन्याक गांव हैं। लोंगवा गांव के लोग कोन्याक जनजाति के हैं, जो हेडहंटर और खूंखार होने के लिए जाने जाते हैं।
1960 के दशक तक गांव में सिर का शिकार एक लोकप्रिय प्रथा रही है। गांव के कई परिवारों के पास पीतल की खोपड़ी का हार है, जिसे वे एक महत्वपूर्ण मान्यता के रूप में मानते हैं और इस हार को ये लोग युद्ध में जीत का प्रतीक माना जाता है। इस गांव में अफीम का सेवन भी काफी बड़े पैमाने पर किया जाता है। गांव में अफीम की खेती तो नहीं की जाती है, लेकिन म्यांमार से सीमा पार तस्करी की जाती है।
लोंगवा गांव के बीच से ही भारत-म्यांमार सीमा गुजरती है और इसी कारण से लोंगवा गांव के निवासियों को दोहरी नागरिकता का लाभ मिलता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से घूमने की आजादी भी मिली हुई है। इतना ही नहीं यहां के लोगों को सीमा पार करने के लिए वीजा की जरूरत भी नहीं होती है। इस गांव के कुछ घरों का बेडरूम भारत में और किचन म्यांमार में मौजूद है।
यह पूर्वोत्तर भारत में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। लोंगवा का शांत वातावरण और यहां की हरी भरी हरियाली लोगों का दिल जीत लेती है। प्रकृति के आकर्षण के अलावा लोंगवा में नागालैंड साइंस सेंटर, शिलोई झील, डोयांग नदी, हांगकांग मार्केट और कई अन्य पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group…