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बजट से पहले यहां जान लें क्या-क्या मिलेंगी राहतें, ग्रामीणों के लिए होगा बहुत कुछ
नई दिल्ली। पहली फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) अपना चौथा बजट पेश करेंगी। बजट के ठीक बाद पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव (Election) भी होने वाले है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का बजट इन राज्यों के चुनावों पर आधारित होगा। यूपी (UP) और पंजाब में चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दलों का फोकस बना हुआ है। आपको बताते चलें कि एक बजट को बनाने में करीब छह महीने का समय लगता है।
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कोरोना की तीसरी लहर भी करेगी बजट को प्रभावित
कोरोना (Corona) की तीसरी लहर भी बजट पर असर डाल सकती है। जो दिसंबर से ही शुरू हुई और बजट तक जारी रह सकती है। इसमें ओमिक्रोन (Omicron) की वजह से संक्रमण अधिक तेजी से फैल रहा है, जिसे तमाम वायरोलॉजिस्ट अभी तक सही से समझ नहीं पाए हैं। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार के अनुसार ओमिक्रोन की ये लहर बहुत तेजी से बढ़ रही है और तेजी से ही घटेगी भी। उन्होंने यह भी कहा है कि इसका अर्थव्यवस्था (Economy) पर बहुत ही लिमिटेड असर होगा। उनका मानना है कि 2021.22 में जीडीपी (GDP) की ग्रोथ 9-9.2 फीसदी तक हो सकती है। कहा जा रहा है कि इस बार के बजट में ग्रामीणों की ओर झुकाव देखा जा सकेगा और ये बजट बेहद लोकप्रिय बजट हो सकता है।
ऐसी स्कीमों की हो सकती है घोषणा, जिनसे लुभाए जा सकें वोटर
वित्त मंत्री अपने बजट (Budget) में पुराने बजट की तरह ही कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने पर तो फोकस कर ही सकती हैं, साथ ही बजट 2022 में बहुत सारे वादे हो सकते हैं। यूपी में भाजपा की सत्ता है और वहां की अधिकतर आबादी ग्रामीण है, जिसके चलते बजट में ग्रामीणों के लिए बहुत कुछ हो सकता है। अर्थशास्त्री प्रणब सेन (Economist Pranab Sen) के मुताबिक यह बजट वादों वाला होगा और केंद्र की कोशिश होगी कि कुछ नेशनल स्कीमों के जरिए यूपी के लोगों को लुभाने की कोशिश हो सकती है। डेलॉयट इंडिया (Deloitte India) की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार के अनुसार इस बार सरकार नौकरियां पैदा करने पर अधिक फोकस कर सकती है।
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जेटली जैसा हो सकता है ये बजट!
अगर पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली (Former Finance Minister Late Arun jet Li) के 2017-18 के बजट को देखें जो 2017 के यूपी चुनाव से महज 10 दिन पहले आया था। उन्होंने बजट में कहा था कि उन्होंने बजट में ग्रामीण इलाकों, इंफ्रास्ट्रक्चर और गरीबी दूर करने पर अधिक फोकस करते हुए बजट पेश किया है। उन्होंने अपने बजट को करीब 10 अलग-अलग थीम में बांटा था, जिसमें से कम से कम 4 थीम चुनावी राज्यों के मतदाताओं को लुभाने से जुड़ी थीं। ये थीम थीं किसानों की आय दोगुनी करना, रोजगार मुहैया कराना और ग्रामीण आबादी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना, स्किल और जॉब्स, सोशल सिक्योरिटी को मजबूत करना, गरीबों के लिए स्वास्थ्य और अफॉर्डेबल हाउसिंग की व्यवस्था करना।
जेटली ने बेघरों और कच्चे घरों में रहने वालों के लिए 2019 तक एक करोड़ घर बनाने का भी वादा किया था। इसके साथ ही स्टैंड अप इंडिया स्कीम (Stand Up India Scheme) को बढ़ावा देने पर जोर दिया था, जिसके तहत दलित, आदिवासी और महिला एंट्राप्रेन्योर्स को मदद मुहैया कराई जाती है। हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर इस बार के बजट में निर्मला सीतारमण का बजट भी अरुण जेटली के बजट जैसा लगे।
टैक्स नहीं बढ़ा तो ये होगी सबसे बड़ी राहत!
इस बार के बजट का वोटर्स पर एक पॉजिटिव (possitve) असर देखने को मिल सकता है। अगर वित्त मंत्री लोगों को अच्छा महसूस कराने में सफल होती हैं। ये देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या वह मिडल क्लास करदाताओं को कुछ राहत देती हैं। हालांकिए पर्सनल इनकम टैक्स में राहत का यूपी और उत्तराखंड के वोटर्स पर बहुत ही लिमिटेड असर होगा। हो सकता है कि सुपर रिच पर लगने वाले टैक्स ;अभी अधिकतम 43 फीसदीद्ध को और अधिक बढ़ा दिया जाए। ग्रांट थ्रॉनटन के नेशनले मैनेजिंग पार्टनर ;टैक्सद्ध विकास वसल कहते हैं कि अगर इस बार टैक्स की दरें नहीं बढ़ाई जाती हैं या कोई नया टैक्स नहीं लाया जाता है तो ये सबसे बड़ी राहत होगी।