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आजकल हमारे आसपास शोर बढ़ गया है। एक तरफ जहां घर से बाहर हम गाड़ियों के हॉर्न के शोर से परेशान होते हैं, वहीं, दूसरी तरफ घर के अंदर लगी कुछ चीजों के शोर से हमें काफी दिक्कत होती है। कुछ चीजों की आवाज इतनी तेज होती है कि वे हमें बहरा भी कर सकती हैं। इतना ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) आपका हार्ट भी फेल करा सकता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, इंसान के कान 70 डेसिबल तक की आवाज को ही झेल सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति हफ्ते में 5 दिन 80 डेसिबल से ज्यादा का शोर 6 घंटे से ज्यादा झेल रहा है तो वे बहरा भी हो सकता है। बता दें कि शादियों व मंदिरों-मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर की आवाज 100 से 120 डेसिबल होती है, जो कि कानों के लिए परेशानी का विषय है। वहीं, वाहनों के हॉर्न में 70 से 100 डेसिबल, पटाखे में 100 से 110 डेसिबल, मिक्सी में 80 से 90 डेसिबल, ट्रैफिक के शोर में 85 डेसिबल, म्यूजिक सिस्टम में 55 डेसिबल और जनरेटर में 55 डेसिबल की आवाज होती है। जबकि, हवाई जहाज का इंजन टेकऑफ के दौरान 140 डेसिबल की आवाज करता है।
ध्यान रहे कि कभी भी आपको लगे कि शोर तेज है तो ईयर-प्लग का इस्तेमाल करें, लेकिन ज्यादा देर तक नहीं। वहीं, साल में दो बार डॉक्टर से चेकअप के लिए जरूर मिलें। हर दिन कुल मिलाकर 1 घंटे से ज्यादा कान से सटाकर मोबाइल पर बात करने, टोटल वॉल्यूम के 60 फीसदी वॉल्यूम से ज्यादा आवाज में संगीत सुनने से भी हियरिंग लॉस की परेशानी होती है।
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