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हिमाचलः लोक कलाकर विद्यानंद सरैक और चंबा रुमाल शिल्प गुरु ललिता वकील को पदमश्री
Last Updated on January 26, 2022 by saroj patrwal
नाहन/चंबा। लोक संगीत के क्षेत्र में सिरमौर (Sirnour) जिला से ताल्लुक रखने वाले विख्यात लोक कलाकार विद्यानंद सरैक और चंबा (Chamba) रुमाल को नई बुलंदियों पर पहुंचाने वाली चंबा की ललिता वकील को पदमश्री पुरस्कार के लिए घोषित किया गया है। मंगलवार शाम को इन दोनों के नाम का पदमश्री पुरस्कार (Padma Shri) के लिए ऐलान हुआ। 26 जुलाई, 1941 में जन्मे लोक कलाकार विद्यानंद सरैक (Vidyanand Saraik) ने एक बार फिर न केवल जिला सिरमौर बल्कि हिमाचल प्रदेश का मान भी बढ़ाया है।
विद्यानंद सरैक मूलतः सिरमौर (Sirmour) जिला के उपमंडल राजगढ़ के देवठी मझगांव के रहने वाले है। लोक संस्कृति के संरक्षक विद्यानंद सरैक को इससे पहले राष्ट्रीय संगीत एवं नाट्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। बता दें कि विद्यानंद सरैक चार वर्ष की उम्र से ही हिमाचली लोक संस्कृत संस्कृति व ट्रेडिशनल फोक म्यूजिक की विभिन्न विधाओं को संजोए हुए देश-विदेश में अनेक मंचों पर हिमाचली संस्कृति की छाप छोड़ चुके हैं। उन्होंने हिमाचली संस्कृति व लोक विद्याओं पर किताबें लिखी हैं और सांस्कृतिक ध्रुव धरोहरों पर गहन अध्ययन भी किया है।
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यहीं नहींए उन्होंने ट्रेडिशनल फोक जैसे ठोडा सिंटूए बड़ाहलटू हिमाचल की देव पूजा पद्धति और पान चढे़ सहित नोबल (Noble) पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर के गीतांजलि संस्करण से 51 कविताओं का सिरमौरी भाषा में भी अनुवाद किया। इसके अलावा उन्होंने बच्चों का फोटो ड्रामा भू रे एक रोटी के अलावा समाधान नाटक, जोकि सुकताल पर आधारित हैए का भी मंचन किया है। विद्यानंद अपनी सांस्कृतिक मंडली स्वर्ग लोक नृत्य मंडल के साथ मिलकर व देश-विदेश में कई मंचों पर हिमाचली संस्कृति की छाप छोड़ चुके हैं।
विद्यानंद सरैक को इससे पहले भी कई प्रदेशों में व संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका हैए जिनमें पंजाब (Punjab) कला शास्त्री अकादमी द्वारा लोकनृत्य ज्ञान लोक साहित्य पुरस्कार भी शामिल है। इसके अलावा विद्यानंद को वर्ष 2016 का गीत एवं नाटक अकादमी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार जोगी देश के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया था। इस पुरस्कार में उन्हें एक ताम्र पत्र व एक लाख की नकद राशि प्रदान की गई थी।
चंबा रुमाल के प्रचार के लिए मुफ्त प्रशिक्षण देती हैं ललिता वकील
चंबा रुमाल (Chamba Rumal) को नई बुलंदियों पर पहुंचाने वाली चंबा की ललिता वकील (Lalita Vakil) को कला के क्षेत्र में 50 वर्षों की मेहनत का फल मिला है। उन्हें 2018 में नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया था। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से महिला दिवस के मौके पर कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। चंबा रुमाल की गुरु ललिता वकील चंबा की अकेली महिला हैंए जिन्हें तीसरी मर्तबा भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा है। चंबा शहर के चोंतडा मोहल्ला निवासी ललिता वकील पत्नी एमएस वकील को चंबा रुमाल में महारत हासिल है। ललिता वकील को 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने सम्मानित किया था।
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2012 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिल्प गुरु सम्मान से सम्मानित किया। ये सम्मान पाने वाली ललिता वकील इकलौती हिमाचली हस्तशिल्पी हैं। 2017 में महिला एवं बाल विकास विभाग के सौजन्य से मेनका गांधी ने अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट अवार्ड से महिला गुरु के तौर पर प्रदान किया था। बकौल ललिता वकील चंबा रुमाल की कला को आने वाली पीढ़ियों को भी रू-ब-रू करवाने के लिए वह अपने घर में नि:शुल्क लड़कियों को कला की बारीकियां सिखाती हैं।
ऑनलाइन उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया। चंबा रुमाल अपनी अद्भुत कला और शानदार कशीदाकारी के कारण देश के अलावा विदेशी में भी लोकप्रिय है। चंबा रुमाल की कारीगरी मलमलए सिल्क और कॉटन के कपड़ों पर की जाती है। चंबा रुमाल पर की गई कढ़ाई ऐसी होती है कि दोनों तरफ एक जैसी कढ़ाई के बेल बूटे बनकर उभरते हैं। यही इस रुमाल की खासियत भी है।
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