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उपकार दिवस : Pandit Bal Krishan Sharma नाम ही संस्थान, 80 वां जन्मदिवस आज
Last Updated on January 28, 2024 by sintu kumar
Upkar Diwas: कांगड़ा का कभी ना भुलाया जा सकने वाला एक चर्चित चेहरा पंडित बालकृष्ण शर्मा (Pandit Bal Krishan Sharma) का रहा है उनके कार्यों और कृतित्वों को देखते हुए उन्हें युगपुरुष कहा जा सकता है। अपने जीवन में समाज सेवा के इतने कार्य उन्होंने किए कि लोग स्वयं ही उन्हें मसीहा के तौर पर देखने लगे थे। पंडित बालकृष्ण शर्मा का जन्म जिला ऊना के लौहारा गांव में पंडित जय राम शर्मा के यहां 22 जनवरी, 1944 को हुआ। सच मायनों में यह गांव उसी दिन गौरवान्वित हुआ क्योंकि आगे चलकर प्रसिद्धि की पराकाष्ठा इसी बालक के हिस्से में आई।
कालांतर में उनके पिता लौहारा गांव से कांगड़ा आए और यहां उन्होंने छोटे स्केल पर बर्तनों का व्यापार शुरू किया। यहीं के जीएवी स्कूल में पंडित जी की शिक्षा हुई और मैट्रिक के बाद उन्होंने पिता जी और भाइयों के साथ मिलकर कारोबार संभाल लिया। विभिन्न प्रतिभाओं के पंडित बालकृष्ण शर्मा को अपनी पहचान बनाने में देर नहीं लगी। हालांकि शुरुआत भले ही जीरो ग्राउंड से हुई थी, पर देखते ही देखते पूरे कारोबार का परिदृश्य ही बदल गया।
वे कभी कोई चुनाव नहीं हारे
एक कहावत है होनहार बिरवान के होत चीकने पात। अर्थात जो पौधे विशिष्ट होते हैं उनके पत्ते आरंभ से ही सुंदर और चमकदार होते हैं। कहना न होगा कि यह बात पंडित जी पर एकदम सटीक उतरती है। उनके व्यापार क्षेत्र में प्रवेश करते ही कारोबार को अनुमान से कहीं अधिक विस्तार मिला। उन्होंने कांगड़ा में ही बर्तन बनाने की फैक्टरी की शुरुआत की और यहां से पूरे प्रदेश में बर्तनों की सप्लाई होने लगी। इसी दौरान वे एक नए क्षेत्र से जुड़े। राजनीति के क्षेत्र में उनके पदार्पण के साथ ही राजनीति की भी दशा और दिशा बदल गई। वे जिला कांग्रेस के महासचिव बने और व्यपारियों ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें व्यापार मंडल का प्रधान भी चुन लिया। सन् 1972 में वे निर्विरोध नगर परिषद के सदस्य चुने गए। सफर जारी रहा 1975 से 2007 तक पंडित जी नगर परिषद के चार बार प्रधान व तीन बार उप प्रधान चुने गए। रोचक यह कि वे कभी कोई चुनाव नहीं हारे। ऐसा लगा जैसे उनका व्यक्तित्व सिर्फ जीत के लिए ही बना था। वे गुप्त गंगा धाम के प्रधान भी बने।
क्या-क्या जिम्मेदारी निभाते रहे
सन् 1984 से 2007 तक वे हॉकी, क्रिकेट और बॉलीवॉल के जिला प्रधान रहे तथा जूडो कराटे के उप प्रधान भी रहे। पूरे 22 वर्ष तक बतौर दशहरा कमेटी के प्रधान, कांगड़ा में रामलीला का सफलता पूर्वक संचालन उन्हीं की देखरेख में हुआ। अपने प्रमुख कार्यों में उन्होंने समाजसेवा को प्रधानता दी। दीनदुखियों की मदद, गरीब विधवाओं को पेंशन और गरीब कन्याओं के विवाह के लिए आर्थिक मदद देकर उन्होंने सभी का दिल जीत लिया। एक महान कार्य उनका श्री बालाजी अस्पताल की स्थापना करना था, जो अब काफी बड़े पैमाने पर चिकित्सकीय कुशलता और सहायता के लिए जाना जाता है। वर्तमान में इस अस्पताल का संचालन उनके सुपुत्र डॉ. राजेश शर्मा (Dr Rajesh Sharma) कर रहे हैं। 9 सितंबर, 2007 को यह महान विभूति हमारे बीच नहीं रही, पर जो आदर्श पंडित बालकृष्ण शर्मा ने स्थापित किए वे मील का पत्थर साबित हुए हैं।