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हम अक्सर देखते हैं कि छोटे बच्चों के हाथों और पैरों में चांदी के कड़े और पायलें पहनाई जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, बच्चों को चांदी के गहने (Jewellery) पहनाना शुभ माना गया है। हमारे देश में ये गहने किसी धार्मिक या सांस्कृतिक समारोह में पहनाए जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये छोटे बच्चों के ये गहने क्यों पहनाए जाते हैं।
ज्योषि शास्त्र के अनुसार, बच्चों को पैरों में पायल, गले में चेन, हाथों में चांदी (Silver) के कड़े आदि पहनाए जाने चाहिए। चांदी चंद्रमा की धातु है और चांदी मन का प्रतीक मानी जाती है।इसके अलावा चांदी एक प्रतिक्रिया शील धातु है और शरीर से निकलने वाली ऊर्जा वापस शरीर में ही चली जाती है। इस कारण बच्चे खुद को ज्यादा ऊर्जावान समझते हैं।
गौरतलब है कि चांदी एक किटाणुनाशक धातु है। चांदी रोगों से लड़ने की क्षमता भी रखती है। ऐसे में हमें चांदी शरीर में अवश्य रूप से धारन करना चाहिए। चांदी बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखती है। चांदी पहनने से सेहत पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इस कारण बच्चे ज्यादा सेहतमंद रहते हैं और उनका विकास भी सही होता है।
बता दें कि चांदी पहनने से बच्चे का मानसिक विकास (Mental Growth) भी होता है। दरअसल, चांदी को मन का कारक भी माना गया है। बच्चे को चांदी पहनाने से उसका मानसिक विकास होता है और उसके मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि बच्चों को चांदी के कड़े या पायलें पहनाई जाती हैं।
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