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आज का समय काफी बदल गया है। आजकल हम स्मार्टफोन की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में संदेश पहुंचा देते हैं। हालांकि, पहले ऐसा नहीं होता था। पहले लोगों को एक मैसेज पहुंचाने के लिए अपना काफी समय बर्बाद करना पड़ता था। इतना ही नहीं कई बार तो महीनों-महीनों तक भी परिवार तक संदेश (Message) नहीं पहुंच पाता था। पहले लोग पत्र भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल करते थे।
दरअसल, घोड़े पर बैठकर जाना या पैदल संदेश पहुंचाना संतोषजनक था, लेकिन इसमें लोगों को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। इसमें दुर्घटनाएं, संदेशों को नुकसान, अप्रत्याशित देरी और गोपनीयता की भी कमी थी। इस कारण बहुत से लोग संदेश भेजने के लिए मानवीय तत्वों को पूरी तरह से हटा देना चाहते थे। इसी के चलते लोगों ने घरेलू कबूतरों (Pigeons) का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।
जानकारी के अनुसार, कबूतरों के पैटर्न और चाल का अध्ययन करते समय ये देखा गया है कि उनके पास दिशाओं को याद रखने की एक अद्भुत समझ होती है। मीलों तक हर दिशा में उड़ने के बाद भी वे अपने घोंसले का मार्गदर्शन करने में सक्षम होते हैं। बता दें कि कबूतर उन पक्षियों में आते हैं, जिनमें रास्तों को याद रखने की खूबी होती है।
कहावत है कि कबूतर के शरीर में एक तरह से जीपीएस सिस्टम (GPS System) होता है। जिस कारण ये कभी भी रास्ता नहीं भूलते हैं और अपना रास्ता खुद तलाश लेते है। कबूतरों में रास्तों को खोजने के लिए मैग्नेटो रिसेप्शन स्किल पाई जाती है। ये गुण कबूतरों को बेहद खास बनाता है। इसके अलावा कबूतर के दिमाग में पाए जाने वाले 53 कोशिकाओं के समुद्र की पहचान भी की गई है, जिसकी मदद से वे दिशा की पहचान और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्धारण करने में सक्षम होते हैं। ये कोशिकाएं दिशा सूचक दिशाओं के बारे में बताने का काम करती हैं। इन्हीं कारणों से कबूतर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पत्र पहुंचाने के लिए चुना गया था।
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