कालाष्टमी : भगवान काल भैरव की पूजा कर दूर करें सारे कष्ट

भगवान शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं भैरव देव

कालाष्टमी : भगवान काल भैरव की पूजा कर दूर करें सारे कष्ट

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धार्मिक दृष्टि से जुलाई महीना काफी महत्वपूर्ण है। जुलाई महीने के पहले ही दिन कालाष्टमी है। कालाष्टमी (Kalashtami) का व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। पंचांग के अनुसार 1 जुलाई, 2021 गुरुवार को आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस अष्टमी को कालाष्टमी कहते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव की पूजा करने से जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है और शनिदेव भी शांत होते हैं। यानी आपकी कुंडली में अगर शनि भारी हैं तो आपको इस दिन जरूर व्रत और पूजा-पाठ करना चाहिए।


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कालाष्टमी भगवान भैरव देव की उपासना का पर्व है। इस दिन भगवान भैरव देव की पूजा विधि-विधान से की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है और आषाढ़ मास का कालाष्टमी व्रत 1 जुलाई गुरुवार को रखा जाएगा। भैरव देव, भगवान शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। भैरव देव अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं। इस व्रत से किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं। हालांकि भक्तों को व्रत का फल तभी मिलता है जब वह सच्चे मन और विधि अनुसार व्रत का पालन करता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से भी जातकों को लाभ मिलता है।

शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि का प्रारम्भ: 01 जुलाई 2021, गुरुवार को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से।
अष्टमी की तिथि का समापन: 02 जुलाई 2021, शुक्रवार को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर।

 

कालाष्टमी पूजा के नियम

इस दिन भगवान शिव के अंश काल भैरव की पूजा करना विशेष फलदायी है। कालाष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। संभव हो तो गंगा जल नहाने के जल में डालें। भैरव को प्रसन्न करने के लिए उड़द की दाल या इससे निर्मित मिष्ठान जैसे इमरती, मीठे पुए या दूध-मेवा का भोग लगाया जाता है, चमेली का पुष्प इनको अतिप्रिय है। कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा के साथ भगवान शिव, माता पार्वती और शिव परिवार की पूजा भी करनी चाहिए। काल भैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें।

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