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PHD प्रवेश मामला: SFI ने विवि और प्रदेश सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, की नारेबाजी
शिमला। विश्वविद्यालय के अंदर हुए पीएचडी (PHD) घोटाले को लेकर एसएफआई ने प्रशासन और प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को एसएफआई ने विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी (Protest) की। और राज्यपाल को अपना मांग पत्र सौंपा। कैंपस सचिव रौकी ने विश्वविद्यालय में हुई हाल ही में पीएचडी भर्ती पर आपत्ति जताते हुए इसे अध्यादेश और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों की अवहेलना बताया और पीएचडी प्रवेश की प्रक्रिया में धांधली होने के आरोप लगाए। सचिव का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन मात्र अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इस तरह की धांधलियां पीएचडी के अंदर कर रहा है। विश्वविद्यालय में जो भी एडमिशन (Admission) पीएचडी के अंदर हुई हैं यूजीसी और विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के नियमों को दरकिनार करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा अपने फायदे के लिए की गई है।
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विश्वविद्यालय के अंदर कार्यकारी परिषद (ईसी) में तय किया गया की हाल ही में जिन प्रोफेसर की भर्तियां हुई हैं और जिन अध्यापकों की पीएचडी पूरी नहीं हुई है वो अध्यापक अपनी पीएचडी मैं एडमिशन बिना किसी एंट्रेंस एग्जाम (Entrance Exam) के ले सकते हैं। उनके लिए ईसी के अंदर एक सुपरन्यूमैरेरी सीट का प्रस्ताव पास किया गया। एसएफआई का कहना है यदि इस तरह की सुपरन्यूमैरेरी सीट आप रख रहे हैं तो इसमें जितने भी प्राध्यापक कॉलेजों और विश्वविद्यालय के अंदर पढ़ाते हैं, उन्हें समान अवसर का मौका मिलना चाहिए जोकि प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही दिया जाना था।
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छात्र पीएचडी प्रवेश परीक्षा पास कर सकता है तो अध्यापक क्यों नहीं
एसएफआई (SFI) ने सवाल उठाया की अगर एक छात्र पीएचडी में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा पास कर सकता है तो एक अध्यापक क्यों नहींघ् एसएफआई ने आरोप लगाया कि वाइस चांसलर कहीं ना कहीं अपने बेटे का फर्जी दाखिला पीएचडी के अंदर प्रदेश सरकार की शय के तहत करवाया है। जब ईसी के द्वारा कोटे के तहत यह सीटें निकाली गई तब न तो इन सीटों को विज्ञापित किया गया और न ही प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया। जो कि समान अवसर के अधिकार को छीनने के साथ साथ यूजीसी की गाइडलाइंस की भी अवहेलना है।
बिना मास्टर डिग्री के पीठ कैसे करवा सकती है पीएचडी
रौकी ने बताया कि विश्वविद्यालय के अंदर दीनदयाल उपाध्याय नाम से एक पीठ का गठन किया गया है और जिसके अंदर डिप्लोमा कोर्स शुरू किया गया है जिसकी अपनी कोई मास्टर डिग्री नहीं है परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने अयोग्य लोगों को इस विश्वविद्यालय में भर्ती करने के लिए इस पीठ में पीएचडी का प्रावधान किया। अब सवाल यह है कि जिस पीठ की मास्टर डिग्री ही नहीं है वह पीएचडी कैसे करवा रही है
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