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PHD डायरेक्ट एडमिशन मामला: SFI ने दी उग्र आंदोलन की धमकी, फैसला वापस लेने की मांग
Last Updated on October 18, 2021 by saroj patrwal
शिमला। एचपीयू (HPU) में बिना प्रवेश परीक्षा दिए पीएचडी (PHD) में दाखिला देने के निर्णय का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सभी छात्र संगठनों ने विवि प्रशासन के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने 21 अगस्त को ईसी की बैठन में निर्णय लिया था कि विवि में कार्यरत शिक्षक बिना एंट्रेंस दिए सीधे पीएचडी में प्रवेश पा सकते हैं। इसके साथ ही गैर शिक्षकों के बच्चों को एक लाख रुपए फीस के साथ बिना एंट्रेंस के पीएचडी में एडमिशन दी जाएगी।
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पीछे का दरवाजा खोल रहा विवि प्रशासन
इस निर्णय का विरोध करते एसएफआई के छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय में मिनिमम क्राइटेरिया के आधार पर शिक्षकों की भर्तियां करवाई गई है। जिसमें बीजेपी और आरएसएस (RSS) के लोगों को जो प्रोफेसर भर्ती के क्राइटेरिया पूरा नहीं करते थे, उनको धांधली कर विश्वविद्यालय में भर्ती किया गया है। अब इस निर्णय के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन उन शिक्षकों को बिना एंट्रेंस टेस्ट क्वालीफाई करवाए सीधे पीएचडी दाखिला करवाना चाहता है। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों पर सवाल उठता है कि क्या यह शिक्षक पीएचडी में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस क्वालीफाई करने के योग्य है या नहीं है। छात्रों ने कहा कि अगर ये शिक्षक योग्य नहीं हैं तो जो छात्र एंट्रेंस क्वालीफाई कर पीएचडी में दाखिला लेगा, उनकी रिसर्च किस तरफ से पूरी कराई जाएगी।
रिसर्च के स्तर गिराने का लगाया आरोप
छात्र संगठन ने विवि प्रशासन पर रिसर्च के स्तर को गिराने का आरोप लगाया। संगठन ने कहा कि जो छात्र पीएचडी में एडमिशन (Admission) लेने के लिए मेहनत कर रहे हैं। नेट/जेआरएफ/सेट क्वालीफाई कर रहे हैं। उनके साथ यह दोगला व्यहवार किया जा रहा है। एसएफआई ने विवि को निर्णय वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर विवि प्रशासन अपने निर्णय को वापस नहीं लेता है तो आने वाले दिनों में छात्र उग्र आंदोलन करेंगे। जिसका खामियाजा प्रदेश सरकार और विवि को भुगतना पड़ेगा।
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