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दिव्यांगता का मजाक उड़ाते थे लोग, UPSC टॉप कर लाखों लोगों के लिए बनीं प्ररेणा
दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं, कुछ ऐसे जिनके पास सब होता है, लेकिन उन्हें कद्र करना नहीं आती और कुछ ऐसे जिनके पास कुछ खास नहीं होता, लेकिन फिर भी उनके हौसले बुलंद होते हैं। कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो दुनिया की कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती। इस बात को सच कर दिखाया है आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) इरा सिंघल ने।
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आईएएस ऑफिसर इरा सिंघल ने दिव्यांग होने के बावजूद भी कभी हार नहीं मानी और यूपीएससी टॉपर बनकर अपना, अपने परिवार और अपने देश का नाम भी रोशन किया। आज हम आपको बताएंगे आईएएस ऑफिसर इरा सिंघल के संघर्ष की कहानी। यूपी के मेरठ की रहने वाली इरा सिंघल (Ira Singhal) भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी और कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग और सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष पर पहुंचने वाली पहली दिव्यांग महिला भी हैं।
लोग उड़ाते थे मजाक
इरा को स्कोलियोसिस (Scoliosis) यानी रीढ़ से संबंधित एक विकार है, जो हाथ की गति को बाधित करता है। इरा सिंघल छोटी उम्र से ही आईएएस बनना चाहती थी, लेकिन जब वो इस बारे में दोस्तों से बात करती तो वो उनकी दिव्यांगता का मजाक उड़ाते और उन्हें कुबड़ी कहकर चिढ़ाते और कहते कि जो खुद अच्छी तरह चल नहीं पाती वो आईएएस कैसे बनेगी। इस बारे में इरा ने एक खुद एक इंटरव्यू में बताया था।
ऐसे की शुरुआत
इरा सिंघल ने बीटेक की और फिर एमबीए की पढ़ाई पूरी की। एमबीए के बाद, इरा ने साल 2010 में सिविल सेवा परीक्षा में बैठने से पहले, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कैडबरी इंडिया में एक रणनीति प्रबंधक (Strategy Manager) और कोका-कोला कंपनी में मार्केटिंग इंटर्न के रूप में काम किया। इसी के साथ-साथ उन्होंने आईएएस सर्विस के लिए तैयारी शुरू कर दी।
ऐसा रहा सफर
इरा ने दिन-रात मेहनत करके तीन बार आईएएस, आईआरएएस (इंडियन रेलवेज अकाउंट सर्विस) (Indian Railways Accounts Services) जैसे कई प्रतिष्ठित पदों की परीक्षाओं में भी सफलता हासिल की, लेकिन शारीरिक अक्षमता के चलते उन्हें फाइनल राउंड में फिजिकल फिटनेस (Physical Fitness) ना होने के कारण निकाल दिया जाता था।
इंसाफ के लिए लड़ी लड़ाई
बार-बार फिटनेस के चलते निकाल देने के कारण इरा सिंघल ने कई बार ऐसा सोचा कि वे फिर से कैडबरी ब्रांड में वापस चली जाए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और उन्होंने अपने भाई और परिवार की हौसला-अफजाई के चलते कोर्ट में पिटिशन (Petition) दाखिल कर दी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी इरा के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाकर दिव्यांग लोगों के लिए भी देश की सबसे बड़ी परीक्षा में आरक्षण की व्यवस्था कर दी।
ऐसे मिली सफलता
साल 2014 में इरा सिंघल सिविल सर्विसेज परीक्षा में इरा टॉपर घोषित हुईं। इसके बाद साल 2015 में इरा को हैदराबाद (Hyderabad) में नियुक्ति मिली और देश की सेवा करने का मौका मिला। वहीं, उनकी इस कामयाबी के बाद दिव्यांगजन की कैटेगरी में आने वाले तमाम लोगों के लिए भी इस पद तक पहुंचने के रास्ते खुल गए।
ऐसे बनीं UPSC टॉपर
इरा ने ऑल इंडिया जनरल कैटेगरी (All India General Category) में टॉप करके मिसाल कायम की। साल 2016 के जून महीने से इरा दिल्ली सरकार में सहायक कलेक्टर (प्रशिक्षु) के रूप में तैनात हैं।
इस मंत्रालय की हैं ब्रांड एंबेसडर
इरा विकलांग विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अलावा महिला और बाल विकास मंत्रालय और नीति आयोग की ब्रांड एंबेसडर हैं। इसके अलावा इरा विकलांग बच्चों के संबंध में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) परीक्षा नीति के
डिजाइनिंग का भी हिस्सा रही हैं। इरा दिल्ली के किसी सरकारी कार्यालय में किसी ट्रांसजेंडर (Transgender) को पूर्णकालिक नौकरी देने वाली पहली व्यक्ति हैं।
इन पुरस्कारों से हैं सम्मानित
इरा को उनकी काबिलियत के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। इरा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Limca Book of Records) में भी दर्ज है।
इरा का संदेश
इरा सिंघल कहती हैं कि अगर आप अपने जीवन में भी एक मुकाम पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं, तो सच मानिए कि आपको अपने सपने को साकार करने और उसे बखूबी जीने से कोई भी नहीं रोक सकता।