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SC : सोशल मीडिया पर मदद मांगने वालों पर एक्शन लिया तो होगी कोर्ट की अवमानना
नई दिल्ली। कोरोना के इस भयावह मंजर के बीच देश के हो हालत है वो हम सब के सामने हैं। ऐसा नहीं है हैं कोरोना काल में स्वास्थ्य सुविधाओं का यह संकट एक या दो राज्यों में है पूरा देश इस समय एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। ऑक्सीजन सप्लाई और दवाओं के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के स्वतः संज्ञान पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवालों की बौछार कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराता है तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है। अगर कार्रवाई के लिए ऐसी शिकायतों (Complaint) पर विचार किया जाता है तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे। इस संबंध में पुलिस महानिदेशकों को निर्देश जारी किए जाएं। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा कि सूचनाओं का मुक्त प्रवाह होना चाहिए, हमें नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए।
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हर मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली (Delhi) की क्षमता कम है ऐसा केंद्र को नहीं कहना चाहिए क्योंकि यह पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए मदद की जानी चाहिए। यदि कुछ नहीं किया तो मौत का आंकड़ा बढ़ जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली को सप्लाई बढ़ाने के लिए कहीं और कमी करनी पड़ेगी। दिल्ली में कोविड से हो रही हर मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं।सुनवाई के दौरान पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि कोरोना के बावजूद कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन और राजनीतिक रैलियां होती रहीं। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे लोग बीमार पड़ गए। इस पर कुछ किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इन सभी पहलुओं को एमिकस क्यूरी देखेंगे। कोर्ट ने पाया कि यहां तक कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि स्थिति खराब है। छात्रावास, मंदिर, गिरजाघर और अन्य स्थानों को कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्र बनाने के लिए खोले जाएं।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) ने केंद्र सरकार से पूछा कि टैंकरों और सिलेंडरों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? कोर्ट ने पूछा कि आखिर ऑक्सीजन की आपूर्ति कब तक होगी? कोर्ट ने पूछा कि जिन लोगों के पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं है या जो निरक्षर हैं, वे वैक्सीन के लिए कैसे रजिस्ट्रेशन करेंगे। क्या केंद्र और राज्य सरकारों के पास कोई योजना है। वहीं, वैक्सीनेशन को लेकर कोर्ट ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए, क्योंकि गरीब टीके का मूल्य चुकाने में सक्षम नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर जानकारी दी कि कोरोना महामारी की वजह से जो हालात पैदा हुए हैं उससे निपटने के लिए सरकार कई स्तरों पर काम कर रही है। देश के अलग अलग राज्यों में पीएसए प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही देश के सभी जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा। जहां तक दवाइयों की बात है कि रेमडेसिवीर के प्रोडक्शन को बढ़ाने के साथ ही दुनिया के अलग अलग देशों से आयात भी किया जा रहा है।