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अब सरोगेसी में होंगे ये नए बदलाव, राष्ट्रपति ने दी सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम को मंजूरी
Last Updated on December 26, 2021 by saroj patrwal
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 (Surrogacy (Regulation) Act, 2021) को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति ने शनिवार को इसकी मंजूरी दी, जिसके बाद इसे तत्काल बाद सरकारी गजट में प्रकाशित कर दिया गया। इस विधेयक को राज्य सभा ने आठ दिसंबर को पारित किया था और इसके बाद लोकसभा में इसे 17 दिसंबर को पारित किया गया था।
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आरपीएस शोध वेबसाइट के मुताबिक सरोगेसी (Surrogacy) एक ऐसी विधि है, जिसमें कोई महिला संतान के इच्छुक किसी जोड़े के बच्चे को अपने गर्भ में पालती है और जन्म के बाद इसे बच्चे को जोड़े को सौंप देती है। इससे पहले उस जोड़े के शुक्राणु और अंडाणु को प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है और जब यह एक भ्रूण के रूप में आ जाता है तो इसे उस महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। यह विधेयक वाणिज्यिक पैमाने पर सरोगेसी पर रोक लगाता है और केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है, जिसमें सरोगेट मां को गर्भ की अवधि के दौरान चिकित्सा खर्च और बीमा कवरेज के अलावा कोई और वित्तीय मुआवजा नहीं दिया जाता है।
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वाणिज्यिक सरोगेसी में इस तरह की प्रक्रिया को मौद्रिक लाभ अथवा कोई अन्य लाभ (नकदी या अन्य कोई लाभ) के लक्ष्य से किया जाता है और यह बुनियादी चिकित्सा खर्च और बीमा कवरेज से अधिक होता है। सरोगेसी की अनुमति तब दी जाती है जब संतान के इच्छुक जोड़े को चिकित्सा आधार पर प्रमाणित बांझपन हो। वहीं, यह परोपकार की द्वष्ट्रि से किया गया है और इसका मकसद वाणिज्यिक नहीं है। बच्चों को बेचने, वेश्यावृति करने और किसी अन्य प्रकार के शोषण कार्यों के लिए पैदा नहीं किया गया हो और विनियमों के माध्यम से निर्दिष्ट किसी बीमारी या अन्य स्थिति की दशा में।