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टैक्सी ऑपरेटरों को सीएम जयराम ने दिया आश्वासन, कैबिनेट बैठक में मिल सकती है राहत
धर्मशाला। हिमाचल विधानसभा का घेराव करने पहुंचे टैक्सी ऑपरेटरों को सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने राहत प्रदान की है। सीएम जयराम ठाकुर ने उनकी तीन मांगों के निपटारे के लिए एक माह का समय दिया है। इससे पूर्व बुधवार को जोरावर ग्राऊंड में समस्त हिमाचल टैक्सी ऑपरेटरों के बैनर तले हिमाचल प्रदेश टैक्सी ऑपरेटर एसोसिएशनए ऑटो यूनियन और स्कूल बस ऑपरेटर ने रोष प्रदर्शन किया। सभी विधानसभा के घेराव को पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने जोरावर स्टेडियम के पास इन्हें रोक दिया। इसके बाद 12 लोगों को विधानसभा में बात करने के लिए बुलाया गया। टैक्सी ऑपरेटर का 12 सदस्यीय दल विधानसभा में सीएम जयराम ठाकुर से मिला। यहां इनके मध्य 15 मिनट तक वार्ता हुई। इस दौरान टैक्सी ऑपरेटरों ने अपनी मांगें सीएम के सामने रखीं। ऑपरेटरों की मुख्य मांगों में टैक्सी परमिट को 12 से 15 साल करना। कोरोना काल में 2 साल बेकार गए परमिट की अवधि बढ़ाना, साथ ही टोकन और पैसेंजर टैक्स पर राहत की मांग रखी गई। इसके अलावा पिछले दिनों सरकार द्वारा जारी किए गए टैक्सी ऑपरेटरों की 2800 से बढ़ाकर 5000 रुपए की गई फीस के फैसले को रद्द करने की मांग उठाई गई। वार्ता के दौरान सीएम ने अगली कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों के हल का आश्वासन दिया है।
बता दें कि आज सुबह हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र (winter session of himachal Vidhansabha) का घेराव करने आए टैक्सी ऑपरेटरों को पुलिस ने जोराबर स्टेडियम में ही रोक दिया। यह टैक्सी ऑपरेटर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए यहां पहुंचे थे। टैक्सी ऑपरेटरों का कहना है कि कोरोना महामारी से पूरा देश और प्रदेश प्रभावित हुआ है। प्रदेश का हर वर्ग इस कोरोना (Corona) महामारी से मंदी की मार झेल रहा है। टैक्सी संचालक भी इस महामारी से अनछुए नहीं हैं। टैक्सी ऑपरेटरों (Taxi operators) का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 70 हज़ार के करीब टैक्सी ऑपरेटर इससे प्रभावित हुए हैं। इन ऑपरेटरों का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने जहां कोरोना महामारी से प्रभावित हुए हर वर्ग को राहत प्रदान की है। वहीं, टैक्सी ऑपरेटरों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। हमें किसी भी प्रकार की कोई राहत प्रदेश सरकार या प्रशासन द्वारा प्रदान नहीं की गई। बल्कि प्रशासन द्वारा हमारे ऊपर और अतिरिक्त आर्थिक बोझ थोप दिया गया।
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टैक्सी ऑपरेटरों का कहना है कि विभाग द्वारा पहले जो Permit Authraization फीस जोकि रुपये 550 प्रतिवर्ष लिए जाते थे वो अब बढ़ाकर रुपये 25,550, कर दिया गया है, जोकि टैक्सी संचालकों पर अतिरिक्त बोझ है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में टैक्सी संचालकों कि गाड़ियों की किश्तें पहले ही टूट चुकी हैं और वह आर्थिक रूप से भी कमज़ोर हो चुके हैं। यही नहीं उनके बैंक खाते NPA हो चुके हैं और बहुत से ऑपरेटरों की गाड़ियां बैंक या प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां लोन की किश्तें ना चुका पाने के चलते उठा ली गई हैं। ऑपरेटरों का कहना है कि हम उस वर्ग में आते हैं जो पहले टैक्स देते हैं फिर कमाते हैं फिर सरकार द्वारा हमारे साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। क्या हम हिमाचल प्रदेश का हिस्सा नहीं हैए क्या हमें बेहतर जीवन का अधिकार नहीं है। इन्हीं मांगों को लेकर आज ये ऑपरेटर आज विधानसभा का घेराव करने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने इन्हंे जोराबर स्टेडियम में ही रोक लिया है। पुलिस और ऑपरेटरों के बीच गहमागहमी जारी है।
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