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Himachal के इन दो जिलों में आया भूकंप, इस माह 6 बार कांपी धरती
कांगड़ा/चंबा। हिमाचल में भूकंप के झटकों का दौर जारी है। आज कांगड़ा और चंबा (Chamba) में भूकंप आया है। कांगड़ा में आज सुबह से पहले तीन बजकर तीन मिनट भूकंप (Earthquake) आया है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.5 आंकी गई है। इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। इसके करीब 14 मिनट के बाद चंबा में भी भूकंप रिकॉर्ड किया गया। तीव्रता 2.9 थी और इसका केंद्र भी जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। जिस वक्त भूकंप आया उस वक्त अधिकतर लोग सोए हुए थे, इसलिए लोगों को झटके महसूस नहीं हुए हैं।
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बात दें कि इस माह अप्रैल में अब तक 6 बार भूकंप आ चुका है। इसमें चंबा में तीन, लाहुल स्पीति (Lahaul Spiti) में दो और कांगड़ा में एक बार भूकंप आया है। सभी भूकंप आधी रात और सुबह होने से पहले आए हैं। इससे पहले 14 अप्रैल को रात 2 बजकर 37 मिनट पर भूकंप आया था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने (Richter Scale) पर 2.8 आंकी गई थी और इसका केंद्र जमीन से 14 किलोमीटर नीचे था। चार अप्रैल को रात तीन बजकर 39 मिनट पर लाहुल स्पीति में भूकंप रिकॉर्ड किया गया। भूकंप की तीव्रता 2.8 थी। इसका केंद्र जमीन से 5 किलोमीटर नीचे था। इसी दिन रात 2 बजकर एक मिनट पर चंबा में भी धरती कांपी थी। भूकंप की तीव्रता 2.4 रिकॉर्ड की गई थी। इसका केंद्र जमीन से 14 किलोमीटर नीचे था। तीन अप्रैल को लाहुल स्पीति में 3.0 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया था। भूकंप रात 12 बजकर 10 मिनट पर आया था। इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
गौरतलब है कि आज से 116 साल पहले कांगड़ा जिला में इसी माह विनाशकारी भूकंप आया था। 4 अप्रैल 1905 में सुबह करीब 6 बजकर 19 मिनट पर जब लोगों की दिनचर्या शुरू ही हुई थी कि भूकंप के दो झटकों ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया। 20 हजार के करीब लोग गहरी नींद में सो गए थे। उस वक्त करीब 8.0 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया था। धर्मशाला , पालमपुर (Palampur), कांगड़ा (Kangra), मैक्लोडगंज और चडी में सबसे अधिक नुकसान हुआ था। इसमें करीब 20 हजार लोगों की मृत्यु हुई थी। वहीं, करीब एक लाख घर क्षतिग्रस्त हुए थे। कांगड़ा जिला के मंदिरों और ऐतिहासित भवनों को क्षति पहुंची थी। भूकंप की दृष्टि से कांगड़ा जिला जोन चार और पांच में आता है। इसे वेरी हाई रिस्क एरिया घोषित किया गया है। कांगड़ा जिला आपदा प्रबंधन योजना 2017 (District Disaster Management Plan for Kangra, 2017) की बात करें तो क्षति और हानि के परिदृश्य अब भूकंप 1905 जैसा भूकंप और अधिक विनाशकारी हो सकता है। क्योंकि राज्य और जिला कांगड़ा में आबादी 1991 के बाद कई गुना बढ़ गई है। भूकंप में तबाही के वर्तमान अनुमान के अनुसार 340,000 से अधिक का नुकसान जीवन पर तब होगा जब भूकंप सर्दियों के महीनों की आधी रात को आए। इस संख्या के आधे हिस्से में नुकसान तब होगा जब यह सुबह में होगा, जब लोग जाग रहे हैं या सो रहे होंगे। शहरी सुविधाओं विशेष रूप से अस्पतालों, स्कूलों, संचार भवनों, परिवहन मार्गों में पहाड़ी क्षेत्र और जल आपूर्ति सुविधाओं को बहुत नुकसान होगा। इससे साफ है कि आधी रात को अगर भूकंप आता है तो ज्यादा लोगों की जान का नुकसान होगा। अलसुबह भूकंप से इससे कम और दिन यानी दोपहर आदि में आता है तो काफी कम नुकसान होगा।
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