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गैरकानूनी ढंग से कर्मचारियों को रेगुलर करने पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तलब
Last Updated on November 18, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचपीयू (HPU) में सेल्फ फाइनांस स्कीम के तहत लगे सैकड़ों कर्मचारियों को गैरकानूनी ढंग से नियमित करने से जुड़े मामले में विश्विद्यालय के रजिस्ट्रार (University Registrar) को तलब किया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिकाकर्ता विजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि विश्वविद्यालय में बहुत बड़ी संख्या में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत नियुक्तियां की गई थी। इनमें लैब अटेंडेंट, क्लर्क और चपरासी (Lab Attendant, Clerk & Peon) इत्यादि शामिल थे।
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अधिकतर कर्मचारी नियमित कर दिए गए परंतु प्रार्थियों के मामले में फर्जी आपत्तियां उठाई जाती रही। कोर्ट ने मामले का रिकॉर्ड देखने पर पाया कि विश्वविद्यालय में पद रिक्त न होने के बावजूद कई कर्मचारी जो सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत रखे गए थे। उन्हें नियमित कर विश्वविद्यालय के अन्य विभागों में तब तक भेज दिया गया, जब तक संबंधित विभाग में पद रिक्त नहीं थे। कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड को खंगालने पर पाया कि विश्वविद्यालय ने पिक एंड चूज पॉलिसी अपनाई और बिना नियमों के ही इतनी बड़ी संख्या में चहेतों का नियमितिकरण कर दिया। कोर्ट ने किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले रजिस्ट्रार को तलब करने आदेश दिए। मामले पर सुनवाई 29 नवम्बर को होगी।
प्रबोध सक्सेना का नाम दागी अधिकारियों की सूची में डालने की सुनवाई सोमवार को होगी
अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना (Prabodh Saxena) का नाम दागी अधिकारियों की सूची में डालने के मामले की सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है। बलदेव शर्मा (Baldev Sharma) के आवेदन पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किया गया था। आवेदन में आरोप लगाया गया है कि मुख्य सचिव ने प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझ कर दागी अधिकारियों की सूची में नहीं डाला है। हाईकोर्ट में दागी अधिकारियों की सूची दायर करते समय मुख्य सचिव को पता था कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है।
प्रबोध सक्सेना को फायदा पहुंचाने के लिए उसे संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है। दलील दी गई कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआई (CBI) अदालत दिल्ली में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है। 350 करोड़ के इस मामले में सीबीआई ने प्रबोध सक्सेना के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इस मामले की पूरी जानकारी होते हुए भी मुख्य सचिव ने अदालत के समक्ष झूठा हलफनामा दायर किया है। इसके बावजूद भी उसे संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है। इस समय उसके पास वित्त कार्मिक पर्यावरण परियोजना विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अतिरिक्त उसे हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार भी संभाला गया है।
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