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तो 40 फीसदी ही नष्ट हो पाती है इको फ्रेंडली प्लास्टिक, 60 प्रतिशत नहीं
दुनिया में प्लास्टिक (plastic waste) कचरा बढ़ रहा है। इसके समाधान के लिए बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (biodegradable plastic) प्रयोग करने का मशविरा दिया जाता है। इसके लिए शोधकर्तााओं ने ब्रिटेन में (Researchers in the UK) अध्ययन किया और इसमें ब्रिटेन के 9,701 लोगों (9,701 people) को शामिल किया। रिसर्च में कई चौंकाने वाली (shocking) बातें सामने आई हैं। यह तर्क दिया जाता है कि बायोडिग्रेडेबल अथवा ईको फ्रेंडली प्लास्टिक जल्द घुल कर खत्म हो जाती है। इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। मगर इस तथ्य पर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की रिसर्च काफी चौकाने वाली है। यदि आप निश्चिंत होकर ईको फ्रेंडली प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि साठ फीसदी तक प्लास्टिक खत्म नहीं होती है। यह जमीन या मिट्टी पर पड़ी रहती है। केवल 40 फीसदी (40 percent) ही प्लास्टिक खत्म हो पाती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि रिसर्च के नतीजे बता रहे हैं कि प्लास्टिक खत्म करने के लिए इन्हें ऐसी जगह भेजने की आवश्यकता है जहां यह पूरी तरह से नष्ट हो सके। यूं तो दुनिया भर में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पॉपुलर हो रही है, मगर इससे पर्यावरण को कितनी राहत मिल रही है इस पर ध्यान देने और समझने की जरूरत है।
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इसको समझने के लिए शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन में अध्ययन किया और इसमें 9,701 लोगों को शामिल किया गया। यह रिसर्च 24 माह तक चली। इसमें परिणाम सामने आया कि 46 प्रतिशत ऐसी प्लास्टिक का दावा करने वाली पैकिंग प्रमाणित नहीं होती। केवल 14 प्रतिशत प्लास्टिक (14 percent plastic से बनी चीजों पर लिखा होता है कि इंडस्ट्री के स्तर पर नष्ट करने की जरूरत है। वहीं यह भी सामने आया कि 60 फीसदी तक बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पूरी तरह से खत्म नहीं होती है। जिन प्लास्टिक की चीजों को नष्ट होने का दावा किया था, उनमें से 60 फीसदी तक ये दावे के उलट निकलीं। शोधकर्ताओं का कहना है कि आम इंसान कम्पोजेबल और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को लेकर कंफ्यूज रहता है क्योंकि प्रोडक्ट पर उस प्लास्टिक को खत्म करने का सही तरीका नहीं बताया जाता है। प्लास्टिक के प्रोडक्ट पर उसे खत्म करने की सही जानकारी न होने और लोगों को बताए न जाने के कारण प्लास्टिक से निपटने में दिक्कत आ रही है, इसको लेकर सुधार करने की जरूरत है क्योंकि यह भी प्लास्टिक पॉल्यूशन कम न होने की वजह है। प्लास्टिक के प्रोडक्ट (plastic products) पर उसे खत्म करने की सही जानकारी न होने और लोगों को बताए न जाने के कारण प्लास्टिक से निपटने में दिक्कत आ रही है। इसको लेकर सुधार करने की जरूरत है क्योंकि यह भी प्लास्टिक पॉल्यूशन कम न होने की वजह है।