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मानसिक बीमार लड़की की हत्या के दोषी को आजीवन कारावास-जाने पूरा मामला
धर्मशाला। हिमाचल (Himachal) के कांगड़ा (Kangra) जिला के पुलिस थाना भवारना (Police Station Bhawarna) के तहत पड़ते एक गांव की मानसिक बीमार एक लड़की से पहले दुष्कर्म का प्रयास और फिर उसका गला दबाकर और पानी में डूबाकर हत्या करने के आरोपित युवक के खिलाफ दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने दोषी को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) व 35 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा ना करने की सूरत में दोषी का चार माह का अतिरिक्त कारावास होगा। केस की जानकारी देते हुए जिला न्यायवादी भुवनेश मन्हास ने बताया कि भवारना थाना के तहत पड़ते एक गांव की युवती 26 सितंबर 2014 को अपने घर के पास नाले की ओर गई। इस दौरान उसी के गांव के युवक दिनेश कुमार ने उसका पीछा किया। नाले के पास पहुंचने के बाद उसने पहले युवती के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। इस पर जब वह चिल्लाई को दिनेश ने युवती का पहले गला दबा दिया और उसके बाद उसे पानी में डूबोकर उसकी हत्या कर दी।
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वारदात के अगले दिन 27 सितंबर को युवती का शव झोल नाले मिला। प्रारंभिक जांच में हत्या का कोई भी साक्ष्य नहीं मिलने के चलते और स्वजनों की ओर से किसी तरह का कोई शव जाहिर ना करने के चलते पुलिस ने सीआरपीसी (CRPC) की धारा 174 के तहत कार्रवाई करते हुए केस बंद कर दिया। वारदात के कुछ समय के बाद दिनेश ने अपने एक दोस्त वरुण उर्फ सन्नी को गुग्गा सलोह क्षेत्र में हत्या के बारे में बताया कि किस तरह उसने युवती की हत्या की थी। वरुण ने दिनेश की सारी बातें रिकॉर्ड कर ली थीं और रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल कर दिया। जैसे ही रिकॉर्डिंग मृतका के भाई के पास पहुंची तो उसने पांच अगस्त 2015 को भवारना थाना में केस दर्ज करवाया। पुलिस की कार्रवाई की दौरान वायरल रिकॉर्डिंग और दिनेश की आवाज की जांच में पाया गया कि यह दिनेश की ही आवाज है और उसने भी जुर्म कबूल कर लिया। जिस पर पुलिस (Police) ने उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया। पुलिस कार्रवाई के बाद न्यायालय में पहुंचे मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से केस की पैरवी अतिरिक्त जिला न्यायवादी एलएम शर्मा ने की। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश-तीन रणजीत सिंह ठाकुर की अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 29 गवाह पेश किए गए। गवाहों के बयानों के आधार पर दोषी दिनेश को आजीवन कारावास व 35 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है। वहीं, न्यायालय (Court) ने यह भी आदेश दिए हैं कि जुर्माना राशि से 30 हजार रुपये पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे।
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