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हिमाचल: हाईकोर्ट के फैसले पर भड़के JBT प्रशिक्षु, कहा- हक में निर्णय ले सरकार
Last Updated on November 29, 2021 by Vishal Rana
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश में बीएड को जेबीटी पदों के लिए योग्य करार देने पर जेबीटी प्रशिक्षु भड़क उठे हैं। जेबीटी प्रशिक्षु का मानना है कि बीएड को जेबीटी का लाभ देना उनके हकों के साथ खिलवाड़ है। उनका कहना है कि अगर ऐसा ही करना था तो उनकी दो साल की पढ़ाई का क्या औचित्य। इसी संदंर्भ में प्रशिक्षु अपने हकों के लिए गांधी चौक पर जेबीटी (jbt) प्रशिक्षु जमकर गरजे और नारे लगाकर अपने हकों के लिए आवाज बुलंद की। जेबीटी प्रशिक्षुओं ने हाईकोर्ट का फैसला सरासर गलत करार दिया और उन्होंने सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की ।
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जेबीटी प्रशिक्षुओं ने कहा कि बीएड वालों को जेबीटी का लाभ नहीं मिलना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो जेबीटी को समय पर इनके प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। प्रशिक्षुओं ने प्रदेश मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस फैसले पर पुनः विचार करें तथा जेबीटी के हकों का हनन न होंने दें। यदि ऐसा हुआ तो आगामी समय में जेबीटी प्रशिक्षु कोई कठोर निर्णय लेने के लिए बाध्य होंगे। जेबीटी यूनियन हमीरपुर के अध्यक्ष अश्विन सोनी ने कहा कि उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में भी जेबीटी के लिए पदों का प्रावधान है तथा इसमें बीएड को शामिल नहीं किया गया है।
जेबीटी कर चुके अभ्यर्थी रमन पटियाल का कहना है कि हिमाचल पहला ऐसा राज्य है जहां पर बीएड के हक में फैसला दिया गया है। हालांकि, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में जेबीटी के पदों पर इ.मक का कोई हस्तक्षेप नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में ट्रेड जेबीटी और ट्रेनिंग कर रहे जेबीटी की संख्या पदों से काफी ज्यादा है। ऐसे में इ.मक करने वालों को जेबीटी का लाभ देना जेबीटी करने वालों के हकों के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एसएमसी के हक में भी ऐसी परिस्थितियों में रिव्यू पिटिशन किया था। जेबीटी के हक को ध्यान में रखते हुए भी प्रदेश सरकार ऐसा फैसला ले। जेबीटी प्रशिक्षुओं का कहना है कि पहले तो दाखिले के लिए कमीशन क्वालीफाई करना पड़ता है फिर नौकरी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसे में अगर बीएड को जेबीटी के पदों का हकदार बना दिया जाता है तो यह उनके लिए बड़ी मुश्किल है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जेबीटी के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके पक्ष में निर्णय लिया जाए।
गौरतलब है कि हमीरपुर के 9 जेबीटी महाविद्यालय में लगभग 2000 प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। वही प्रशिक्षित और प्रशिक्षुओं की बात करें तो इनका आंकड़ा लगभग प्रदेश में 40000 है। ऐसे में जेबीटी के लाभ पर इ.मक को योग्य करार देना इन 40 हजार परिवारों के साथ सरासर अन्याय है।