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हिमाचल: सरकारी आवास आबंटन में बंदरबांट पर हाईकोर्ट सख्त, जीएडी के सचिव को किया तलब
Last Updated on December 4, 2021 by saroj patrwal
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने प्रदेश नौकरशाही द्वारा कर्मचारियों को सरकारी आवास आबंटन में बंदरबांट करने पर कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जीएडी विभाग के सचिव को अदालत में तलब किया। प्रदेश सरकार में आयुर्वेदा विभाग की अतिरक्त मुख्य सचिव की सिफारिश पर उनके चालक को सरकारी आवास आबंटित कर दिया जबकि प्रार्थी सुमित शर्मा के आवेदन पर गौर नहीं फ़रमाई। यह मामला आज न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था।
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अदालत को बताया गया कि सुमित शर्मा ने आबंटित आवास को चेंज करने के लिए जीएडी विभाग (GAD Department) के पास आवेदन मार्च 2021 में दिया जिस पर विभाग का कहना है कि जिस आवास के आबंटन के लिए प्रार्थी ने आवेदन दिया है, वह अप्रैल 2022 में खाली होगा और इस पर अभी कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। वहीं दूसरी ओर यही आवास चमन लाल नामक चालक को अगस्त 2021 में आबंटित कर कर दिया क्यूंकि यह आवास पहले वाले कर्मी ने खाली कर दिया था।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत ली गयी सूचना में यह जानकारी सामने आई कि उक्त चमन लाल को आवास आबंटित करते समय प्रार्थी के आवेदन को नजर अंदाज किया गया और आयुर्वेदा विभाग (Department of Ayurveda) की अतिरक्त मुख्य सचिव के आग्रह पर यह आवास आबंटित किया गया है। प्रार्थी ने यह जानकारी अदालत के समक्ष अपनी याचिका के साथ संलगित की है। हाईकोर्ट ने इन दस्तावेजों को देखने के पश्चात मामले को गंभीरता से लिया और सचिव जीएडी को तलब किया और खुली अदालत में विभाग द्वारा आवास आबंटन पर सरकार द्वारा अपनाई जा रही भेदभाव पूर्ण नीति पर कड़ी टिप्पणी भी की। अदालत ने मामले की सुनवाई आगामी 8 दिसंबर को निर्धारित की और सरकार को अपना पक्ष रखने के आदेश दिए हैं।
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