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जालसाजों ने नहीं बक्शा एक रुपए का भी नोट, मार्केट में उतार दी जाली करंसी
जालसाजों ने एक रुपए के नोट (One Rupee Notes)को भी नहीं बक्शा है। एनसीआरबी की रिपोर्ट (NCRB Report)के मुताबिक नोटबंदी (Demonetisation) के बाद पांच साल में एक रुपए के 6072 जाली नोट पकड़े गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी एक रुपए के नोट से मिलते जुलते नोट बाजार में उतारे गए हैं। यह नोट चलन में भी आ चुके हैं। जबकि,इस अवधि में दो रुपए का एक भी (Fake) नकली नोट नहीं पकड़ा गया है। दो रुपए का नोट अभी भी चलन में है, लेकिन बाजार में नकली एक भी नहीं है। अलबत्ता दो हजार और पांच सौ के नकली नोटों (Two Thousand and Five Hundred) की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। सपा कोटे से राज्यसभा सांसद चौ सुखराम सिंह यादव (Rajya Sabha MP Ch.Sukhram Singh Yadav) के सवाल जवाब में गृह राज्य मंत्री ने सदन में यह जानकारी दी है।
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रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 से 2020 के बीच 2017427 जाली नोट पकड़े गए। इतना ही नहीं बंद हो चुके एक हजार के नकली नोटों का मिलना जारी है। 2016 में 82494 जाली नोट थे तो 2020 में यह संख्या बढ़कर 318143 पहुंच गई। यही स्थिति दो हजार के नोटों की रही। नोटबंदी के बाद 2016 में चलन में आए दो हजार मूल्य के नकली नोट 2272 पकड़े गए थे तो 2020 में यह संख्या 244834 पहुंच गई। हैरान कर देने वाली बात है कि वर्ष 2016 में चलन में आए 500, 200 व 50 रूपए मूल्य की एक भी नई करेंसी नहीं पकड़ी गई थी। 500 और 50 रुपए की पुरानी नकली करेंसी के मिलने का क्रम जारी रहा। 50 रूपए की पुरानी नकली करेंसी (Fake Currency) की रफ्तार थमी तो इस मूल्य की नई करेंसी की डुप्लीकेसी (Duplication of New Currency) ने रफ्तार पकड़ ली। 2016 में 50 रुपए के 3137 पुराने नोट पकड़े गए थे तो 2020 में यह संख्या 1589 ही रही। 2016 में 50 रूपए की नई करेंसी एक भी जाली नहीं थी जबकि 2020 में यह संख्या 8599 पहुंच गई। आंकड़े बताते हैं कि 5ए 2 और एक रुपए के नकली नोट दो वर्ष से एक भी नहीं पकड़े गए।