-
Advertisement
ये है सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही, बिना ट्रेनिंग के फतह किया एवरेस्ट बेस कैंप
भारत की दो लड़कियों ने माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़ाई करके एक नया मुकाम हासिल किया है। जाने इनकी जीत में ऐसा क्या खास है। एक कहावत है कि व्यक्ति ठान ले तो बड़े-बड़े पहाड़ भी चढ़ सकता है। वास्तव में जो सभी संघर्षों को पार करके बुलंदियों तक पहुंचता है दुनिया उसी को सलाम करती है और वो दुसरों के लिए प्रेरणा बन जाता है। कुछ ऐसी बड़ी उपलब्धि 10 साल की रिदम ममानिया और 31 साल की पियाली बसाल ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर अपना परचम लहराकर हासिल की।
यह भी पढ़ें:रचनात्मक होते हैं ऐसे लोग, ये जीवन में जोखिम लेना करते हैं पसंद
मुंबई की 10 वर्षीय स्केटर रिदम ममानिया के लिए निश्चित रूप से यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि वह एवरेस्ट बेस कैंप पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोहियों में से एक बन गई है। वहीं, पियाली बसाल ने बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के ही एवरेस्ट पर पहुंचने का खिताब अपने नाम किया है। जाने इन दोनों लड़कियों की सफलता की कहानी।
10 वर्षीय रिदम ममानिया ने हासिल किया बड़ा मुकाम महाराष्ट्र के मुंबई में वर्ली की रहने वाली 10 साल की चैंपियन स्केटर रिदम ममानिया (Rhythm Mamania) ने नेपाल में एवरेस्ट बेस को फतह करने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय पर्वतारोहियों में से एक गई है। रिदम ने एवेरेस्ट चढ़ने की ट्रेनिंग किसी से नहीं ली और न ही उनके पास कोई प्रशिक्षक था, लेकिन उसकी कड़ी मेहनत ने उसे इतना बड़ा मुकाम दिलाया।
भले की रिदम के पास कोई कोच नहीं था, लेकिन वो खुद ही सुबह 5 बजे शास्त्री गार्डन के पास सीढ़ियों के ऊपर और नीचे चढ़कर अभ्यास करती थीं। समुद्र तल से लगभग 5364 मीटर की ऊंचाई पर और कम ऑक्सीजन वाली जगह और बर्फ से ढकी हुई पहाड़ी के बारे में सोचकर ही जहां लोगों की रूह कांप जाती है, उसी जगह माउंट एवरेस्ट की यात्रा पर रिदम 25 अप्रैल, 2022 को निकलीं और 6 मई, 2022 को दोपहर लगभग 1 बजे एवेरेस्ट पर पहुंच गईं। रिदम ने इतनी कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल करके लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
उपनगरीय बांद्रा में मेट ऋषिकुल विद्यालय की पांचवी कक्षा की छात्रा रिदम छह मई को दोपहर करीब एक बजे एवरेस्ट आधार शिविर पंहुची। उन्होंने कहा कि आधार शिविर 5,364 मीटर रक स्थित है और अभियान को पूरा करने में उन्हें 11 दिन लगे। रिदम ने कहा स्केटिंग के साथ-साथ ट्रेकिंग उनका जुनून रहा है, लेकिन इस ट्रेक ने उन्हें सिखाया कि एक जिम्मेदार ट्रैकर होना और पहाड़ों के अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या को हल करना कितना महत्वपूर्ण है।
पियाली बसाक ने बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के माउन्ट एवेरेस्ट चढ़ाई की
22 मई, 2022 वास्तव में हर बंगाली के लिए गौरव का दिन था। दरअसल इस दिन हुगली जिले के चंदननगर की पियाली बसाक (Piyali Basak) ने बिना किसी ऑक्सीजन सिलेंडर के माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रच दिया। पियाली पिछले साल अक्टूबर में बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के माउंट धौलागिरी पर चढ़ने वाली पहली महिला भी बनी थीं और सात महीनों के भीतर ही उन्होंने उसने एवरेस्ट पर चढ़कर एक और उपलब्धि हासिल कर ली।
इससे पहले भी कई पर्वतारोही बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के एवरेस्ट तक पहुंचे हैं, लेकिन महिलाओं में से पियाली ऐसी पहली महिला बन गई हैं। उन्होंने बिना किसी ऑक्सीजन सपोर्ट के ही यह जीत हासिल की है। हुगली के चंद्रनगर की रहने वाली 31 वर्षीय पियाली बसाक ने 22 मई की सुबह माउंट एवरेस्ट को लगभग बिना किसी ऑक्सीजन सिलेंडर के ही फतह कर लिया। चंद्रनगर में एक प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका पियाली ने अपने सपने को जब हासिल किया तब पूरे बंगाल में सैकड़ों लोगों लिए ये गर्व का क्षण था।