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डेरा बाबा बड़भाग सिंह में श्रद्धा और आस्था का संगम, सातवें दिन हजारों श्रद्धालु हुए नतमस्तक
ऊना। जिला ऊना के उपमंडल अंब (Amb) के मैड़ी में लगे सुप्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले में श्रद्धा (Devotee) और आस्था का संगम देखने को मिल रहा है। विश्वविख्यात इस मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी रोजाना हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंच रहे है। मैड़ी में बाबा बड़भाग सिंह जी ने घोर तपस्या की थी और एक पिशाच वीर नाहर सिंह को दिव्य शक्ति से एक पिंजरे में कैद कर दिया था। ऐसी आस्था है कि डेरा बाबा बड़भाग सिंह (Dera Baba Badbhag Singh) में नतमस्तक होने से बुरी आत्माओं और मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।
27 फरवरी से शुरू हुआ मेला 9 मार्च को होगा संपन्न
बता दें कि 27 फरवरी से 9 मार्च तक मनाए जाने वाले इस मेले के सातवें दिन रविवार को श्रद्धालुओं का खूब जनसैलाब उमड़ा। अगर डेरा बाबा बड़भाग सिंह के इतिहास पर नजर डाली जाए तो वर्ष 1761 में पंजाब (Punjab) के कस्बा करतारपुर में सिख गुरू अर्जुन देव जी के बंशज बाबा राम सिंह सोढ़ी और उनकी पत्नी माता राजकौर के घर में बड़भाग सिंह जी का जन्म हुआ। उन दिनों अफगानों के साथ सिख जत्थेदारों की खूनी भिड़तें होती रहती थी। बाबा बड़भाग सिंह बाल्याकाल से ही आध्यातम को समर्पित होकर पीड़ित मानवता की सेवा को ही अपना लक्ष्य मानने लगे थे। कहते है कि एक दिन वो घुमते हुए मैड़ी गांव स्थित दर्शनी खड्ड जिसे अब चरण गंगा कहा जाता है, पहुंचे और यहां के पवित्र जल में स्नान करने के बाद मैड़ी स्थित एक बेरी के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न हो गए।
बाबा बड़भाग सिंह जी ने मैड़ी में की थी तपस्या
कहते है कि यह क्षेत्र वीर नाहर सिंह नामक एक पिशाच के प्रभाव में था। नाहर सिंह द्वारा परेशान किए जाने के बाबजूद बाबा बड़भाग सिंह इस स्थान पर घोर तपस्या की तथा एक दिन दोनों का आमना सामना हो गया। बाबा बड़भाग सिंह ने दिव्य शक्ति से नाहरसिंह पर काबू पाकर उसे बेरी के पेड़ के नीचे ही एक पिंजरे में कैद कर लिया। कहते है कि बाबा बड़भाग सिंह ने नाहर सिंह को इस शर्त पर आजाद किया था कि नाहर सिंह अब इसी स्थान पर मानसिक रूप से बीमार और बुरी आत्माओं के शिंकजे में जकड़े लोगों को स्वस्थ करेंगे, और साथ ही निःसंतान लोगों को (Childless People) फलने का आशीर्वाद भी देंगे। यह बेरी का पेड़ आज भी इसी स्थान पर मौजूद है तथा हर वर्ष लाखों की तादाद में देश विदेश से श्रद्धालु आकर माथा टेककर आशीर्वाद (Blessings) प्राप्त करते है। ऐसी मान्यता है कि अगर प्रेत आत्माओं से ग्रसित व्यक्ति को कुछ देर के लिए इस बेरी के पेड़ के नीचे बिठाया जाए तो वो व्यक्ति प्रेत आत्मायों के चंगुल से आजाद हो जाता है।