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सुकेत देवता मेलाः शाही जलेब में उचित स्थान नहीं मिलने पर नाराज हुए बड़ादेव कमरूनाग
Last Updated on March 30, 2023 by sintu kumar
सुंदरनगर। मंडी जिला का राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले का समापन समारोह सवालों के घेरे में आ गया है। जहां एक ओर सुकेत रियासत का प्राचीन देव समागम अपनी भव्यता के 100 वर्ष इस बार पूरा कर चुका है। वहीं दूसरी ओर मंडी जनपद के अराध्य बड़ादेव कमरूनाग पहली बार रूष्ट होने के कारण शोभायात्रा में शामिल नहीं हुए। राज्यस्तरीय सुकेत मेला के समापन अवसर पर महामाया मंदिर से लेकर जवाहर पार्क तक भले ही भव्य जलेब निकाली गई। लेकिन सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार शाही जलेब में महामाया की पालकी के पीछे कमरूनाग स्थान नहीं मिलने पर रूष्ट होकर मेला अकेले ही स्थल पहुंच गए। देव कमरूनाग अपने देवलूओं संग रूष्ट होकर सीधा मेला ग्राउंड गए।
पहली बार शाही जलेब में शामिल नहीं हुए कमरूनाग
आलम यह रहा कि इस प्रकार परंपरा टूटने से व्यवस्था भी तितर-बीतर हो गई और प्रशासन के ढुलमुल रवैए तथा लापरवाही से अराध्य बड़ादेव कमरुनाग रुष्ट हो गए। राजघराने द्वारा चढ़ाई जाने वाली चादर को देवता ने अस्वीकार कर दिया। देव कमरूनाग के अनुयायियों में प्रशासन के इस तरह की अनदेखी के चलते गहरा रोष व्याप्त है।
बता दें कि मंडी जिला के 5 दिवसीय राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले का गुरुवार को समापन हो गया। इस मौके पर प्रदेश सरकार के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। इस दौरान परंपरा अनुसार महामाया मंदिर से मेला ग्राउंड तक भव्य शोभायात्रा का आयोजन भी किया गया। लेकिन पहली बार इस शोभायात्रा में बड़ादेव कमरूनाग द्वारा शिरकत नहीं करने से सदियों पुरानी परंपरा टूट गई है।