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3 साल में 3 करोड़ बढ़े डायबिटीज के मरीज, ICMR ने कहा- फौरी कदम उठाएं
नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अपने अध्ययन में कहा है कि भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसे देखते हुए सरकार को इसकी रोकथाम के लिए फौरन कदम उठाने की जरूरत है। ICMR की इस स्टडी के अनुसार साल 2019 में 7 करोड़ लोग डायबिटीज (Diabetes) से पीड़ित थे जबकि वर्तमान समय में यह संख्या बढ़कर 10.1 करोड़ हो गई है। जिसके बाद स्टेट के स्तर पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत बताई गई है।
खून में जब ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा या कम होने लगती है तो उसे डायबिटीज रोग कहा जाता है। जबकि प्री-डायबिटिक व्यक्ति वह होता है, जिसका ब्लड शुगर (Blood Suger) लेवल सामान्य से ज्यादा है लेकिन इतना ज्यादा नहीं है कि उसे टाइप-2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जा सके।
चौंकाने वाले आंकड़े
ICMR की स्टडी में कहा गया है कि भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज हो चुका है और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबेटिक हैं। देश में 11.4% लोग डायबिटिक हैं और 15.3% प्री-डायबिटिक हैं। जिसका मतलब है एक-चौथाई से अधिक लोग डायबिटीज की चपेट में आ चुके हैं और 35.4% लोगों को हाइपरटेंशन की समस्या है। बता दें, इस सर्वे में 20 साल और इसके अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया था।
गोवा पहले नंबर पर
ICMR की स्टडी के अनुसार फिलहाल सबसे ज्यादा डायबिटीज रोगी अभी गोवा (26.4%) में है। यूपी, एमपी, बिहार और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में आने वाले कुछ वर्षों में ‘डायबिटीज विस्फोट’ हो सकता है। स्टडी के लेखक और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. रंजीत मोहन अंजना के अनुसार पुदुचेरी और दिल्ली में डायबिटीज और प्री-डायबिटीज रोगियों की संख्या लगभग बराबर है। ऐसे में यह बीमारी स्थिरता की स्थिति में है। लेकिन चिंता की बात यह है कि जिन राज्यों में डायबिटीज मरीजों की संख्या कम है, वहां वैज्ञानिकों को प्री-डायबिटिक लोगों की संख्या ज्यादा देखने को मिली है। प्री-डायबिटिक लोगों में से एक तिहाई लोग अगले कुछ वर्षों में मधुमेह की चपेट में आने वाले हैं और बाकी एक तिहाई प्री-डायबिटिक बने रह सकते हैं। ऐसे में बचे हुए लोग हेल्दी डाइट, अच्छी जीवनशैली और एक्सरसाइज जैसी चीजों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इस खतरे को दूर कर सकते हैं।
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