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टाइडमेन सेब की मंडी में दस्तक, नई व्यवस्था से आढ़ती व बागवान परेशान
हिमाचल प्रदेश में फल मंडियों में सेब ने दस्तक दे दी है। टाइडमेन सेब के मंडी में आने के साथ ही सेब सीजन शुरू हो गया है। बागवान सेब को लेकर मंडी पहुंचना शुरू हो गए है। शुक्रवार को राजधानी शिमला के ढली फल मंडी में सेब की बोली लगी, जहां प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई नई व्यवस्था के तहत पहली बार सेब किलो के हिसाब से खरीदा गया। सेब मंडियों में किलो के हिसाब से बिकना तो शुरू हो गया है लेकिन इस नई व्यवस्था ने बागवानों के सामने नई समस्याएं खड़ी कर दी है। ऐसे में आढ़ती व बागवानों दोनों नई व्यवस्था से नाखुश नजर आ रहे हैं। आढ़तियों का कहना है कि सेब को किलो के हिसाब से खरीदना संभव नहीं है क्योंकि बागवान सरकार द्वारा तय मानदंडों से ज्यादा सेब भरकर ला रहे है लेकिन आढ़ती 24 किलो से ज्यादा खरीद नही सकता । वहीं बागवानों का भी कहना है कि किलो के हिसाब से खरीदने की नई व्यवस्था में बिना यूनिवर्सल कार्टन के बागवानों को भी नुकसान हो रहा है । सेब पेटी में 24 किलो से ज्यादा आ रहा है लेकिन आढ़ती 24 किलो के हिसाब से ही सेब खरीद रहा है।
टाइडमेन सेब 40 से 100 रु प्रतिकिलो बिका
ढली फल मंडी में आढ़ती ज्ञान सिंह का कहना है कि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार मंडी में इस बार सेब किलो के हिसाब से बिक रहा है और आज की बात करें तो आज फल मंडी में टाइडमेन सेब 40 से 100 रु प्रतिकिलो बिका ,लेकिन इस वर्ष सेब को किलो के हिसाब से खरीदना संभव नहीं है। आढ़ती का कहना है कि बागवान बिना बजन किए सेब मंडी ला रहे है लेकिन सरकार ने आढ़तियों के लिए मानदंड तय किए हैं जिसमें आढ़ती 24 किलो से ज्यादा सेब नहीं खरीद सकता इसलिए वो सरकार द्वारा तय मापदंडों के अनुसार खरीद कर रहे है लेकिन बागवान मानदंडों से ज्यादा सेब भर कर पेटी में ला रहा है। उनका कहना है कि बिना यूनिवर्सल कार्टन के सेब को किलो के हिसाब से सेब संभव नहीं है। उन्होंने सरकार से भी मांग की है सरकार बागवानों पर भी दवाब डाले कि वो सेब को 24 किलो के हिसाब से पेटी में भरकर लाएं।
यूनिवर्सल कार्टन लागू करे सरकार
वहीं सेब लेकर मंडी पहुंचे बागवान का कहना भी है कि बिना यूनिवर्सल कार्टन सेब को किलो के हिसाब से खरीदने में बागवानों को नुकसान हो रहा है। पेटियों में सेब 28 से 32 किलो तक आ रहा है लेकिन आडती 24 किलो के हिसाब से खरीद रहा है, जिससे बागवानों काफी नुकसान हो रहा है। सरकार या तो यूनिवर्सल कार्टन लागू करें नही तो सेब पेटियों के हिसाब से पुरानी व्यवस्था के तहत बिकना चाहिए ताकि बागवानों को नुकसान ना हो।
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