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सिरदर्द बने आवारा पशु: किसान को स्क्रैप कैटल के लिए 700 रुपए देगी सरकार
अवंतिका खत्री/ धर्मशाला। आवारा पशुओं (Stray Cattles) की समस्या से जूझ रही हिमाचल सरकार अब किसानों को स्क्रैप कैटल (Scrap Cattle) के लिए 700 रुपए देने जा रही है। यह पैसा सीधे किसान के खाते (Bank Account) में जाएगा। यह बात कृषि एवं पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने गुरुवार को विधानसभा में विधायक भवानी सिंह पठानिया के संकल्प के जवाब में कही। मंत्री के जवाब से संतुष्ट भवानी सिंह पठानिया ने अपना संकल्प वापिस ले लिया।
चंद्र कुमार ने कहा कि सरकार किसानों का एक पोर्टल (Portal) तैयार कर रही है। इसमें दूध देने वाले और स्क्रैप कैटल का अलग-अलग डाटा तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार पशुओं की जनगणना (Cattle Census) भी शुरू करेगी। ब्लॉक स्तर पर सभी मवेशियों को चिप लगाई जाएगी, ताकि बेसहारा पशुओं की समस्या को कम किया जा सके।
सेस ने नहीं हुई कमाई
पशुपालन मंत्री ने कहा कि सरकार ने बेसहारा जानवरों को गौसदनों (Cow Shelters) में बेहतर सुविधाएं देने के लिए शराब पर सैस लगाया जिससे सालान 69 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान था, लेकिन बहुत कम पैसा मिला। इसी तरह मंदिरों न्यासों से भी गौ सदनों के लिए केवल 63 लाख रुपए ही मिले। सरकार इस साल गौसदनों में रखे गए बेसहारा जानवरों पर 39.13 करोड़ खर्च कर रही है, जबकि पिछले साल इस कार्य पर 70 करोड़ रुपए खर्च किया गया था। उन्होंने कहा कि गौसदनों पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।
ईमानदारी से लागू नहीं हो रहे कानून
चंद्र कुमार ने कहा कि बेसहारा पशुओं की समस्या को कम करने के लिए पंचायती राज कानून 1984 और नगर निगम कानून 1984 के तहत जुर्माने (Fine) का प्रावधान है। लेकिन इन कानूनी प्रावधानों को ईमानदारी से लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने माना कि कृत्रिम गर्भाधान ठीक नहीं होने के कारण भी बड़ी संख्या पशुपालक अपने जानवरों को बेसहारा छोड़ रहे हैं। मशीनीकरण के कारण पशुओं को बेसहारा छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ी है।