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नए साल पर हिमाचल के इन दो हिल स्टेशन पर आएं, एनर्जेटिक महसूस करेंगे
Kasauli-Dharamshala-McLeodganj Hill Stations Of Himachal Pradesh : नए साल पर हर कोई अभी से प्रोग्राम बनाने में लगा हुआ है कि कहां जाएं,क्या करेंगे। बहुत सारे लोग नए साल के आगमन को सेलिब्रेट करने के लिए पहाड़ों का रुख करते हैं,हम भी आपको आज गाइड करेंगे कि अगर आप इस दिन को खास बनाना चाहते हैं तो कहां जाएं। इसलिए आज हम हिमाचल के हिल स्टेशन (Hill Stations) की बात करेंगे,जहां आप नववर्ष के आगमन को सेलिब्रेट (Celebrate Arrival Of New Year In Himachal) कर सकते हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं कसौली व धर्मशाला-मैक्लोडगंज की,ये दोनों ही हिल स्टेशन आपके बेहद नजदीक हैं,यानी यहां पहुंचने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हैं। एयर कनेक्टिविटी दोनों ही हिल स्टेशन को आपसे जोड़ते हैं। ये दोनों ही हिल स्टेशन आपको (Refresh) रिफ्रेश कर देंगे।
you're so pretty kasauli pic.twitter.com/H3CtpebQrD
— 21pac/roti-advance (@chummadeserving) September 5, 2024
कसौली, धर्मशाला-मैक्लोडगंज (Kasauli and Dharamshala-McLeodganj) टूरिस्टों के बीच बेहद पॉपुलर हैं। यहां पहुंचकर आप खुद को एनर्जेटिक महसूस करेंगे। ये दोनों ही हिल स्टेशन प्रकृति की गोद में बसे हुए हैं और टूरिस्टों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अगर बात कसौली की करें तो ये देसी ही नहीं विदेशी टूरिस्टों को भी मंत्रमुग्ध कर देता है। यह हिल स्टेशन सोलन जिले में है। यहां साल भर फूल खिलने का कारण इसे कसौली कहा गया। साल भर पुष्प खिलने के कारण इस जगह को कुसुमावली या कुसमाली कहा जाता था जो धीरे-धीरे कसौली हो गया। ऐसा भी कहा जाता है कि पहले इस गांव का नाम कसुल था जो धीरे-धीरे कसौली हो गया। उसके बाद धीरे.धीरे यह हिल स्टेशन के तौर पर विकसित हो गया।
कसौली में वर्ष 1841 में यहां ब्रिटिश अधिकारी हेनरी लॉरेंस की बच्ची का मलेरिया से निधन हो गया था जिसे यहीं दफनाया गया। यहां हेनरी ने अपनी बच्ची की याद में एक झोपड़ी बनाई थी जिसका नाम सनी साइड रखा गया, कहते हैं उसके बाद ही यह जगह हिल स्टेशन के तौर पर विकसित हुई। यहां पहुंचने के लिए कोई भी देशभर से हवाई मार्ग से चंडीगढ़ और वहां से एक घंटे की ड्राइव कर कसौली पहुंच सकता है। नववर्ष के आगमन पर यहां हर वर्ष होटलों में विशेष तौर पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कोई भी यहां आकर नववर्ष (New Year Celebration) को अच्छे से सेलिब्रेट कर सकता है।
अगर बात धर्मशाला-मैक्लोडगंज की करें तो यहां सबसे पहले टूरिस्ट तिब्बती संस्कृति को देख सकते हैं। यहां आप तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट भी जा सकते हैं। यहां तिब्बती पारंपरिक शैली में नाटक की प्रस्तुति की जाती है। इसके अलावा यहां नामग्याल स्तूप भी घूम सकते हैं जो कि मैक्लोडगंज के बेहद करीब स्थित है। धर्मशाला कांगड़ा जिले में है, इसे तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा (Dalai Lama) का निवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है। मैक्लोडगंज में चर्च भी है,जोकि एक अलग ही नजारा पेश करता है। ये घने देवदार के पेड़ के बीच छिपा हुआ है। ब्रिटिशकालीन ये ये चर्च यहां पर है। मैक्लोडगंज से सैलानी कांगड़ा घाटी और धौलाधार रेंज के मनोरम दृश्य देख सकते हैं। धर्मशाला में टूरिस्ट वार मेमोरियल यानी युद्ध स्मारक घूम सकते हैं। यही नहीं यहां का क्रिकेट स्टेडियम वर्ल्ड फेमस हैं,जोकि स्नो लाइन के बेहद नजदीक है।
मैक्लोडगंज देवदार के जंगलों से घिरा हुआ रमणीय पर्यटक स्थल है। इसे अंग्रेजों ने बनवाया था, टूरिस्ट यहां भागसुनाग मंदिर देख सकते हैं, यह मंदिर उतना ही पुराना है जितनी डल झील है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसकी उत्पत्ति दैत्य राजा भागसु और नागों के देवता-नागराज के बीच एक विशाल लड़ाई से हुई थी। यहां आप बर्फ से ढके धौलाधार के पहाड़, झरने और हरियाली देख सकते हैं। मैक्लोडगंज के साथ ही नडृडी बेहद खूबसूरत डेस्टिनेशन हैं,यहां पूरा दिन व्यतीत कर सकते हैं। प्रकृति की गोद में बसे नड्डी गांव की डल झील को भी देख सकते हैं। इस डेस्टिनेशन में नववर्ष पर बर्फबारी की उम्मीद रहती है। यही कारण है कि देश के कोने-कोने से टूरिस्ट (Tourist) यहां आना चाहते हैं। मैक्लोडगंज का बाजार भी रात के वक्त बेहद सुंदर दिखता है। मानों लगता है कि आप विदेश की सैर कर रहे हैं। यहीं पर त्रियूंड ट्रैकिंग भी है,लेकिन आजकल वहां जाना ठीक नहीं। ये केवल गर्मियों में ही ठीक कहा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए मात्र 24 किलोमीटर की दूरी पर कांगड़ा हवाई अड्डा (Kangra Airport)है। दिल्ली से सीधे फ्लाइट यहां आती हैं। हर वर्ष नववर्ष के आगमन को सेलिब्रेट करने के लिए यहां के असंख्य होटलों में पार्टियां आयोजित होती हैं।
-राहुल कुमार