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तीन अस्पतालों ने कर दिया था मृत घोषित, मॉर्चरी में चलने लगी सांसें, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (UP) के मुरादाबाद से हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां सड़क दुर्घटना (Road Accident) में घायल व्यक्ति की मृत हो जाने की सूचना पुलिस को मिली थी। पुलिस (Police) शव को लेकर अस्पताल के मॉर्चरी पहुंची, तभी अचानक मृत व्यक्ति की सांसें चलने लगी। इस घटना को देखकर पुलिस वाले हैरान रह गए। आनन-फानन में व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं, घटना की जानकारी व्यक्ति के परिवार वालों को दी। मातम मना रहे परिजनों को एक बार तो पुलिस की बात का भरोसा नहीं हुआ। परिवार में छाया मातम अचानक खुशी में बदल गया।
दरअसल, शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे जिला अस्पताल के शव गृह में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब 7 घंटे बाद मॉर्चरी में रखे एक व्यक्ति की सांसें चलने लगी। परिजनों के अनुसार मझोला थाना क्षेत्र के रहने वाले श्रीकेश नगर निगम में कर्मचारी हैं। देर रात घर से दूध लेने के लिए निकले थे, तभी सड़क पार करते समय श्रीकेश हादसे का शिकार हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुंचे। उसके बाद घायल को लेकर एक के बाद एक तीन अस्पताल ले गए।
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जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया। इधर, मामले की जानकारी परिजनों ने पुलिस को दी। पुलिस शव का पंचनामा करने के लिए शव को मॉर्चरी में ले आई। जैसे ही मॉर्चुरी में पुलिस व स्वास्थ्यकर्मी पंचनामा की तैयारी कर रहे थे, तभी उन्हें एहसास हुआ कि मृत व्यक्ति की तो सांस चल रही है। इस बात की जानकारी वहां मौजूद परिजनों ने तुरंत जिला अस्पताल में डॉक्टर को दे दी। सूचना पर मॉर्चुरी पहुंचे डॉक्टर ने चेकअप कर उस व्यक्ति के जिंदा होने की पुष्टि करते हुए तुरन्त उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज शुरू कर दिया।
घटना के बारे में एक परिजन ने बताया, ‘रात 11 बजे मुझे फोन आया कि एक्सीडेंट हो गया है तो मैं गाड़ी लेकर आया। यहां आने के बाद देखा तो हॉस्पिटल ब्राइट स्टार में उन्होंने यह कह दिया कि हमारे यहां सुविधा नहीं है, साईं हॉस्पिटल ले जाओ। हम साईं हॉस्पिटल ले गए, एंबुलेंस हमारे पास थी। साईं में डॉक्टरों की टीम आ गई, लेकिन उनके यहां वेंटिलेटर नहीं था। हमने कहा कि फिर कहां लेकर जाएं उन्होंने कहा कॉसमॉस ले जाओ।
हमने सोचा कि चलो विवेकानंद ले जाएं, विवेकानंद ले गए तो वहां पर इमरजेंसी में डॉक्टर साहब थे, उन्होंने चेकअप किया। ट्रीटमेंट तो नहीं दिया और मशीन लगाकर बोले न तो पल्स है, न बीपी है, फिर बोले यह खत्म हो गए। तब हम ऐसे ही एंबुलेंस लेकर जिला अस्पताल लाए क्योंकि यह सरकारी है। इमरजेंसी में डॉक्टर साहब थे। पूरा मामला हमने डॉक्टर साहब को बता दिया तो फिर उन्होंने कहा कि बॉडी को मॉर्चुरी में रखवा दो। फिर हम बॉडी को मॉर्चुरी में रखवा कर आए।
जब इस पूरे मामले की जानकारी जिला अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर शिव सिंह से ली गई, तो उन्होंने बताया कि श्रीकेश नाम के एक व्यक्ति को उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। उस समय ड्यूटी कर रहे डॉक्टर मनोज यादव के द्वारा पूरा चेकअप करने के घायल को मृत घोषित कर दिया गया।
साथ ही शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए देर रात शव को मॉर्चुरी में भिजवा दिया गया। इस बाबत पुलिस को भी सूचना दे दी गई थी। सीएमएस का कहना है कि परिवार के लोगों का भी कहना था कि जिला अस्पताल लाने से पहले और कई अस्पतालों में भी श्रीकेश को मृत घोषित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामले बहुत रेयर होते हैं। ऐसे मामलों में जब कभी-कभी व्यक्ति को चोट लगती है और उसको दवाइयां दी जाती है, तो उनका असर बहुत देर बाद देखने को मिलता है। इस केस में भी यही हुआ है और दवाइयों का असर बहुत देर के बाद हुआ, शायद इसकी वजह से एक बार फिर से उसकी सांस चलने लगी है।