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भोले की भक्ति के रस में डूबा हिमाचल, महाशिवरात्रि पर महादेव के मंदिरों में लगा भक्तों का मेला
ऊना। हिमाचल में शनिवार को महाश्विरात्रि (Mahashivratri) पर्व मनाया जा रहा है। प्रदेश भर के मंदिरों में खास कर महादेव के मंदिरों (Lord Shiva) में श्रद्धा और आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाशिवरात्रि पर देवभूमि हिमाचल (Himachal) की जनता शिवभक्ति में डूब गई। सभी तरफ जय-जय भोले के जयकारे गूंज रहे हैं। छोटी काशी मंडी में तो महाशिवरात्रि का अंतरराष्ट्रीय उत्सव अलग ही छटा बिखेर रहा है। यहां देवी-देवताओं का आगमन शिवरात्रि उत्सव को चार चांद लगा रहा है। वहीं ऊना जिला में भी महाशिवरात्रि की काफी धूम है।
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ऊना जिला (Una District) में पांडव काल के दौरान निर्मित किए गए बनौड़े महादेव मंदिर (Banode Mahadev Temple) में महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में भव्य मेले का आयोजन किया गया। महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बनौड़े महादेव मंदिर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के अर्धनारीश्वर रूप का अभिषेक किया और विधिवत पूजा अर्चना की। इस मौके पर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने कहा कि शिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष लगने वाले मेले की कड़ी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है इसमें श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है।
मंदिर में पूजा अर्चना को पहुंचे श्रद्धालु (Devotees) महेश शारदा ने कहा कि वो बरसों से इस मंदिर में पहुंच रहे हैं और यह मंदिर श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करने वाला है। उन्होंने कहा कि ना केवल इस गांव के अपितु आसपास के करीब 30 गांवों के श्रद्धालु नियमित रूप से बनौड़े महादेव मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर में मांगी गई मन्नत सदैव पूरी होती है जिसके चलते श्रद्धालुओं का भगवान भोलेनाथ के प्रति अटूट विश्वास है।
द्रौण शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया शिवलिंग का जलाभिषेक
इसी तरह से महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य पर जिला ऊना का उपमंडल गगरेट (Gagret) भी शिवमय हो गया। सुप्रसिद्ध द्रोण महादेव शिव मंदिर शिवबाड़ी (Famous Drona Mahadev Shiva Temple Shivbari) में पवित्र शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए शुक्रवार रात्रि से ही शिव भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगना शुरू हो गई थी और शनिवार दोपहर तक ये सिलसिला लगातार जारी था। औघड़नाथ के दर्शनों के लिए श्रद्धालु दूर दूर से पहुंचे थे। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना साक्षात भगवान शिव ने प्रकट होकर की थी और सच्चे मन से यहां मांगी गई मुराद कभी खाली नहीं जाती।
महाभारत काल में यहां गुरु द्रोणाचार्य की नगरी थी और पांडवों ने यहां धनुर्विद्या सीखी थी। मंदिर के आसपास घना जंगल भी फैला हुआ है। इस जंगल की लकड़ी केवल शव जलाने व धर्मिक अनुष्ठान में उपयोग होती है। मंदिर प्रशासन ने भी यहां श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस जवानों की तैनाती के साथ तहसीलदार रोहित कंवर खुद मोर्चा संभाले हुए थे और दो नायब तहसीलदारों के साथ बड़े पैमाने पर राजस्व कर्मी भी तैनात किए गए हैं। शनिवार सायं तक यहां तीस हजार श्रद्धालुओं के नतमस्तक होने का अनुमान है।