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दिवाली का त्योहार हमारे देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। दिवाली (Diwali) का इंतजार बच्चों और बड़ों सभी को पूरे साल रहता है। कई दिनों पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। हालांकि इस बार कोरोना संकट के कारण हर त्योहार सावधानी और सतर्कता से मनाया जा रहा है तो हर त्योहार में पहले से काफी फर्क तो है लेकिन लोगों का उत्साह इस बार भी कम नहीं हुआ है। दिवाली से दो दिन पहले भी एक खास त्योहार आता है जो कि है धनतेरस। धनतेरस (Dhanteras) देव वैद्य धनवंतरि और लक्ष्मी जी के खजांची माने जाने वाले कुबेर को याद करने का दिन है। दिवाली से पहले कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाये जाने वाले ‘धनतेरस’ को ‘धनवंतरि त्रयोदशी’ भी कहा जाता है और इस दिन सोने-चांदी की कोई चीज या नए बर्तन खरीदने को शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ धनवंतरि और कुबेर की भी पूजा की जाती क्योंकि कुबेर जहां धन का जोड़−घटाव रखने वाले हैं वहीं धनवंतरि ब्रह्मांड के सबसे बड़े वैद्य हैं।
इस साल धनतेरस का त्योहार 2 नवंबर यानी मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। धनतेरस पर खरीदारी का मुहूर्त सुबह नौ बजे से दोपहर 1:30 बजे तक, इसके बाद शाम 7:30 बजे से रात 9:30 बजे तक तथा रात में 10:30 बजे से 1:30 बजे तक का है। धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त दोपहर 1:26 बजे से 2:57 बजे तक का है। धनतेरस के दिन पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती हैं। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ ही चल रही होती है। इस बार प्रदोष काल शाम छह बजे से 7:57 तक है ।
इस दिन आप लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति खरीदें और दीपावली के दिन इसी का पूजन करें।
अकसर लोग दिवाली के समय नयी गाड़ी खरीदते हैं। धनतेरस के दिन भी गाड़ियां बड़ी संख्या में खरीदी जाती हैं। यदि आप भी धनतेरस के दिन नयी गाड़ी लेना चाह रहे हैं तो ऐसा कर सकते हैं लेकिन उसके लिए भुगतान पहले ही कर दें। धनतेरस के दिन वाहन के लिए भुगतान करने से बचें। वाहन को राहू काल में घर में नहीं लाना चाहिए।
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