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शिमला। हिमाचल में फर्जी सर्टिफिकेट (Fake Certificate) बनाकर दिव्यांग कोटे से नौकरी हासिल करने की शिकायतें सामने आने के बाद हिमाचल सरकार ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। अब हिमाचल प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों और निगम बोर्ड में दिव्यांगों को नियुक्ति से पहले मेडिकल परीक्षण करवाना अनिवार्य होगा। कार्मिक विभाग ने इस बावत सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों, मंडलायुक्तों, विभागाध्यक्षों, उपायुक्तों और निगम बोर्ड के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं। यह कार्रवाई फर्जी सर्टिफिकेट की मदद से दिव्यांग श्रेणी (Divyang Category) में नौकरी पाने की कई शिकायतें सामने आने के बाद सरकार ने की है।
कार्मिक विभागों द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार किसी भी आवेदक को नियुक्ति देने से पहले विभाग उसका ताजा मेडिकल परीक्षण (Medical Test) कराएगा। ताजा परीक्षण रिपोर्ट को आवेदक के आवेदन करते समय दाखिल किए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की जानकारी से मिलाया जाएगा। इसके बाद ही आवेदक को नियुक्ति दी जाएगी। दरअसल, कुछ समय पहले नेत्रहीन संगठन हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय नेत्रहीन संघ के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव के साथ बैठक कर फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति पाए जाने के संबंध में शिकायत (Complaint) की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि कई लोगों ने फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर दिव्यांग कोटे की नौकरियों (Jobs) को हासिल कर लिया और पात्र अभ्यर्थी दर-दर भटक रहे हैं। इस आरोप के बाद मुख्य सचिव ने कार्मिक विभाग को सर्टिफिकेट की जांच के संबंध में आदेश दिए थेए जिसके बाद अब कार्मिक विभाग ने नई व्यवस्था लागू कर दी है।
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