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पितृ विसर्जन अमावस्या : पितरों को याद कर ऐसे करें शांति पूजन
Last Updated on September 16, 2020 by
हिंदू धर्म के अनुसार पितृ विसर्जन अमावस्या का बड़ा महत्व है। आश्विन मास के कृष्णपक्ष का संबंध पितरों से होता है। इस मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या (Pitru visarjan amavasya) कहा जाता है। इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। अगर आपने पूरे पितृ पक्ष अपने पितरों को याद न किया हो तो केवल अमावस्या पर उन्हें याद करके दान और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है। इस दिन दान करने का फल अमोघ होता है, साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इस बार पितृ विसर्जन अमावस्या 17 सितंबर को है।
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जब पितरों की देहावसान तिथि अज्ञात हो तो पितरों की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध करने का नियम है। आप सभी पितरों की तिथि याद नहीं रख सकते ऐसी दशा में भी पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध (Shraddh) करना चाहिए। इस दिन किसी सात्विक और विद्वान ब्राह्मण को घर पर निमंत्रित करें और उनसे भोजन करने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें। स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाएं। भोजन सात्विक हो और इसमें खीर का होना आवश्यक है। भोजन कराने तथा श्राद्ध करने का समय मध्यान्ह होना चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें। श्रद्धा पूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराए। उनका तिलक करके दक्षिणा देकर विदा करें बाद में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
पितृ अमावस्या के अगले ही दिन नवरात्र (Navratri) शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार अधिक मास 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्र 18 अक्टूबर से शूरू हो कर 25 अक्टूबर तक रहेंगे। नवरात्र में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को होगी।