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हिमाचल: आबकारी विभाग की बड़ी कार्रवाई, सेनेटाइजर की आड़ में अवैध स्पिरिट के धंधे का पर्दाफाश
नाहन। राज्य कर एवं कराधान विभाग की एक टीम ने सिरमौर जिला के क्षेत्र कालाअंब में सैनिटाइजर की आड़ में अवैध स्पिरिट (ENA) की सप्लाई करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। विभाग के मंडी जोन के संयुक्त आयुक्त उज्जवल राणा के नेतृत्व में विभागीय टीम ने यहां की एक औद्योगिक इकाई में दबिश देखकर मामले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में विभाग ने कालाअंब पुलिस थाना में शिकायत भी दर्ज करवाई है। साथ पूरे मामले की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। शुक्रवार शाम जिला मुख्यालय नाहन में पहुंचकर संयुक्त आयुक्त उज्जवल राणा ने विभागीय टीम की मौजूदगी में मामले से जुड़ी विस्तार से जानकारी दी।
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बताया कि जिला मंडी स्थित गोवर्धन बॉटलिंग प्लांट में निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितताओं की कड़ियों को जोड़ते हुए और ऑनलाइन डाटा के द्वारा ई वे बिलों की जांच करते हुए विभाग ने जिला सिरमौर (Sirmaur) के कालाअंब स्थित एक औद्योगिक परिसरए डच फोरमुलेशन में विभाग के संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी उज्जवल राणा के नेतृत्व में टीम ने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि परिसर में किसी भी प्रकार का कोई उत्पाद तैयार नहीं किया जा रहा था। उक्त इकाई के पास ड्रग अथॉरिटी द्वारा कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। इस यूनिट ने वर्ष 2020-21 में 8.06 करोड़ रुपये की परचेज ई वे बिलों में की है और लगभग 4.77 करोड़ रुपये की बिक्री दिखाई है। और दोनो में कुल अंतर 3.39 करोड़ रुपए बनाता है। जिसका कोई भी स्टॉक परिसर में नही पाया गया।
इस कंपनी की एक अन्य फर्म डेनिश लैब अम्बाला में है। इस फर्म के भी ई वे बिल चेक किये गए। इस दौरान पाया गया कि इस फर्म ने सीएमओ धर्मशाला को हैंड् सैनिटाइजर के चार खेप नवंबर व दिसंबर 21 में भेजे हैं। इसी तरह इसी फर्म ने हैंड सैनिटाइजर के 3 खेप राजीव गांधी आयुष मेडिकल कॉलेज पपरोला को भेजे हैं। इन सभी की कीमत 51 लाख रुपए है। इसके अतिरिक्त मैसर्स डच फॉर्मूलेशन काला अम्ब ने भी हैंड सैनिटाइजर की एक खेप पपरोला कॉलेज को भेजी है। इस कि कीमत 7.50 लाख है। यहां ये भी उल्लेखनीय हैं कि उक्त फर्मो को समय दिए जाने के बावजूद भी किसी तरह की डिटेल विभाग को उपलब्ध नहीं करवाई है विभाग ने यह सारा डेटा ई वे बिल सिस्टम से निकाला है।
जब इसकी दोनों विभागों से जांच पड़ताल करवाई तो उन्होंने लिखित में सूचित किया कि उन्होंने ऐसी कोई भी सप्लाई नही मंगवाई है और न ही प्राप्त की है। यह व्यापारी ई इन ए का कारोबार भी करते है। कुल अवैध सप्लाई 58.50 लाख रुपए की है जिससे लगभग एक लाख बल्क लीटर स्पिरिट खरीदी जा सकती है। और लगभग 37 से 40 हज़ार पेटी शराब का उत्पादन किया जा सकता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त फर्मो द्वारा हैंड सेनीटाइजर सप्लाई करने की आड़ में स्पिरिट की आपूर्ति की जा रही थी। इस संबंध में विभाग द्वारा उक्त फर्म के खिलाफ आगामी कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई जा रही है।
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