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अवैध धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा, विशेषज्ञों ने इसे अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र बताया
शिमला। गैर कानूनी तरीके से लोगों का धर्मांतरण (Conversion) एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश है। यह मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह बात पुणे स्थित विख्यात लेखिका एवं धर्मांतरण पर वरिष्ठ शोधकर्ता सीमा रघुनाथ और हिमाचल प्रदेश सरकार की अतिरिक्त महाधिवक्ता रीता गोस्वामी ने कही। यह दोनों विशेषज्ञ उमंग फाउंडेशन (Umang Foundation) द्वारा मानवाधिकार जागरूकता पर 20वें साप्ताहिक वेबिनार में “लोभ एवं जबरन धर्मांतरण से संरक्षण का अधिकार” विषय पर बोल रही थीं। वेबीनार की विशेषज्ञ वक्ता सीमा रघुनाथ थीं और अध्यक्षता रीता गोस्वामी ने की। उन्होंने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर हेल्पलाइन बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गैर कानूनी तरीकों ईसाई मिशनरियों द्वारा भोले-भाले हिंदुओं, सिखों और बौद्धों का धर्मांतरण एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश है। उन्होंने तमिलनाडु में जबरन ईसाई बनने से इनकार के बाद प्रताड़ित होकर आत्महत्या करने वाली 17 वर्षीय हिंदू छात्रा लावण्या को “देश की शहीद बेटी” बताते हुए कार्यक्रम में श्रद्धांजलि भी दी।
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सीमा रघुनाथ ने यूरोप, अफ्रीका और एशिया में पिछले एक हज़ार वर्षों से अधिक समय से चल रहे ईसाई विस्तारवाद पर लंबी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरियों ने अफ्रीका और यूरोप में प्रचलित स्थानीय धर्मो की पहचान तक मिटा दी। वहां लोभ से या जबरदस्ती ईसाई बनाए गए लोगों को वापस अपने मूल धर्म में जाने पर मार डाला जाता था। यही वह भारत में दोहराना चाहते हैं। सीमा रघुनाथ ने बताया कि वे पिछले 8 वर्षों से भी अधिक समय से ईसाई मिशनरियों द्वारा गैर कानूनी तरीके से भोले भाले लोगों को ईसाई बनाने पर शोध कर रही हैं। उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के भंडाफोड़ के लिए 2 पुस्तकें भी लिखी हैं। उन्होंने बताया कि ईसाई मिशनरियों ने वर्ष 2050 तक भारत को ईसाई बहुल देश बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए लालच देने के अलावा भूत.प्रेत से मुक्तिए येशू की प्रार्थना के जरिए इलाज और डरा-धमका कर भी ईसाई बनाते हैं।
वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता और प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता रीता गोस्वामी ने हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा लोभ-लालच, जबरदस्ती या शादी के लिए धर्मांतरण करना गैरकानूनी है। इसके लिए सजा का प्रावधान है। धर्मांतरण के लिए इच्छुक व्यक्ति को जिला उपायुक्त कार्यालय में एक महीने पहले घोषणा पत्र देना होता है। इसके बाद जांच की जाती है कि धर्मांतरण के पीछे कोई गैरकानूनी कारण तो नहीं हैं।
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