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ऊना। बेशक केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों (agricultural laws) को वापिस लेने की घोषणा कर दी गई है, लेकिन बाबजूद इसके भी किसान संगठन सरकार के विरुद्ध लामबंद है। आज ऊना में विभिन्न किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। इस दौरान किसान नेताओं ने किसान आंदोलन में मरने वाले किसानों को शहीद का दर्जा देने और मुआवजा दिए जाने की मांग भी उठाई। संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा (Himachal Kisan Sabha) और सीटू ने शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सीटू के जिला महासचिव गुरनाम सिंह की अध्यक्षता में किसानों ने एमसी पार्क से लेकर डीसी कार्यालय तक रोष रैली निकाली। रैली के दौरान किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री से इस्तीफा देने की मांग भी उठाई।
सीटू के सचिव गुरनाम सिंह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा भले ही तीनों किसान विरोधी काले कृषि कानून वापिस लेने की बात कही हैए लेकिन अभी भी एम्एसपी पर कानून बनना बाकी है। उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी में हुए हत्याकांड के दोषी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अभी भी अपने पद पर मौजूद है, जबकि नैतिकता के आधार पर उन्हें त्यागपत्र देना चाहिए था। किसानों की मांग पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को भारमुक्त किया जाना चाहिए और उस पर कानून के हिसाब से मुकदमा दर्ज कर जेल भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को दिल्ली की सरहद पर बैठे पूरा एक साल हो गया है और इस दौरान आठ सौ किसान शहीद हो गए हैं। उन किसानों को शहीद करार देकर उनके घर वालों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देनी चाहिए। अगर देश के पीएम तीनो काले कृषि कानून पहले ही वापिस से लेते, तो उन किसानों की जान बच सकती थी। किसानों की मांग अनुसार फसलों का न्यूनतम खरीद मूल्य निर्धारित करके इसका कानून बनाना चाहिए।
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