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गोवर्धन पूजाः प्रकृति एवं पशुओं के लिए हमारे प्रेम का एक पर्व
हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है गोवर्धन पूजा को कई स्थानों में अन्नकूट भी कहा जाता है। इस वर्ष 4 नवंबर की दिवाली के पश्चात् 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पावन पर्व पड़ रहा है। इस दिन विशेष रूप से पशु धन की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान् श्री कृष्ण के साथ गोबर से गोवर्धन देव बनाकर उनकी पूजा भी की जाती है।
इस वर्ष गोवर्धन पूजा 5 नवंबर को है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:28 बजे से सुबह के 7:55 बजे तक है। पूजा का दूसरा शुभ मुहूर्त शाम को 5:16 बजे से लेकर 5:43 तक का है।
गोवर्धन पूजा का पुराणों में ज़िक्र मिलता है। जब इंद्र देवता के घमंड को तोड़ने के लिए श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा था तब इंद्र ने क्रोधित होकर ब्रज पर अपने क्रोध की तेज़ वर्षा की थी। उस भयंकर बारिश से ब्रजवासियों और पशुधन को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था और उसके नीचे सभी को शरण दी थी। इंद्रदेव को अपनी गलती समझ आई और उनका कोप शांत हुआ। तभी से गोवर्धन पूजा का सिलसिला शुरू हुआ। इस दिन अन्न एवं पशुधन की विशेषरूप से पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन देव बनाये जाते हैं और देव के साथ साथ अपने पशुओं को भी सजाया जाता है। पूजा के बाद उन्हें विशेष भोग लगाया जाता है। गोवर्धन देव के साथ साथ श्री कृष्ण का भी दूध स्नान करके उनको भोग लगाया जाता है। गोवर्धन पूजा प्रकृति एवं पशुओं के लिए हमारे प्रेम का एक पर्व है।